कोलकाता

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सियालदह अदालत ने बुधवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने यह निर्णय दोपहर 2:30 बजे कोर्टरूम 210 में सुनाया। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी संजय रॉय को भारतीय दंड संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी पाया गया है। आरोपी ने अदालत में यह दावा किया कि उसे गलत तरीके से फंसाया गया है। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि संजय रॉय को सोमवार को अदालत में अपने पक्ष में बयान देने का अवसर मिलेगा और सोमवार को ही सजा का ऐलान किया जाएगा।

इस मामले की सुनवाई के लिए अदालत परिसर में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। प्रदर्शनकारी अदालत के बाहर जमा हो गए थे और इस दौरान कोलकाता पुलिस ने कोर्ट परिसर में सुरक्षा कड़ी कर दी थी। प्रवेश को नियंत्रित करने और सभी उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई बैरिकेड्स भी लगाए गए थे। कोर्ट के बाहर इस मामले के संबंध में भारी जन समर्थन और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला।

मामला: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की हत्या और दुष्कर्म

यह मामला नौ अगस्त 2023 का है, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चेस्ट मेडिसिन विभाग की स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर की दरिंदगी से हत्या की गई थी। पीड़िता का नाम चिकित्सक डॉक्टर दीप्ति घोष था। वह अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद आठ अगस्त की रात अपने दोस्तों के साथ डिनर करने गई थीं। इसके बाद से महिला डॉक्टर का कोई भी संपर्क नहीं हुआ था।

अगली सुबह, जब मेडिकल कॉलेज में यह खबर फैल गई कि चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल से महिला डॉक्टर का शव बरामद हुआ है, तो एक खलबली मच गई। शव अर्ध नग्न अवस्था में पाया गया था। शव के पास से उसका मोबाइल फोन और लैपटॉप भी बरामद हुआ था, जो इस घटना के महत्वपूर्ण साक्ष्य माने गए। शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह सामने आया कि महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी।

मृतक महिला डॉक्टर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलासा

पोस्टमॉर्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह सामने आया कि मृतक महिला डॉक्टर के शरीर पर कई चोटों के निशान थे। उनके चेहरे पर नाखून के निशान पाए गए थे और गुप्तांगों पर खून के निशान भी थे। इसके अलावा, उनके मुंह, आंखों, पेट, गर्दन, बाएं टखने और दाहिने हाथ की उंगली पर चोट के निशान थे। इन सब घटनाओं के बाद यह स्पष्ट हो गया कि महिला डॉक्टर के साथ न केवल दुष्कर्म हुआ था, बल्कि उसकी हत्या भी की गई थी। यह अपराध अत्यधिक क्रूरता से भरा हुआ था और इससे पूरे क्षेत्र में उथल-पुथल मच गई थी।

कोलकाता

प्रदर्शन और विरोध: पीड़िता के पिता का बयान

इस मामले के दौरान, पीड़िता के पिता ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने खुद दावा किया था कि वह रात के दो बजे तक जागकर इस मामले की निगरानी कर रही थीं। हम जानना चाहते हैं कि उनके इसमें क्या हित थे। हम यह भी चाहते हैं कि सिर्फ मुख्य आरोपी संजय रॉय ही नहीं, बल्कि इस पूरे मामले के सभी दोषी सामने आएं और सजा मिले।”

पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब तक उन्हें पूरी तरह से न्याय नहीं मिलता, तब तक वह अदालत का दरवाजा खटखटाते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दोषियों को सजा मिलती है, तो उन्हें कुछ राहत मिलेगी, लेकिन न्याय का पूरा परिपालन होना चाहिए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि “हमने सीबीआई से कभी भी सवाल नहीं किया, लेकिन कोर्ट ने सारी जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी। हमें अब कोर्ट से जवाब चाहिए।”

सीबीआई जांच और आरोप

सीबीआई द्वारा की गई जांच को लेकर पीड़िता के पिता ने निराशा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, “सीबीआई ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यह कोई संतुष्टि का सवाल नहीं है। हम अदालत से जवाब मांग रहे हैं और हम चाहते हैं कि जांच में हर पहलू को सही तरीके से उजागर किया जाए।” यह बयान इस बात का संकेत था कि पीड़िता के परिवार को पूरे मामले में पूरी तरह से न्याय की उम्मीद थी और वे सीबीआई के कार्यों से संतुष्ट नहीं थे।

सजा का निर्धारण: कोर्ट का निर्णय

अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए आरोपी संजय रॉय के खिलाफ सजा का ऐलान सोमवार को किया जाएगा। इससे पहले, आरोपी ने अदालत में अपना बचाव किया था और दावा किया था कि उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। अदालत ने आरोपी को सोमवार को बयान देने का मौका दिया है, जिसमें वह अपनी सजा पर अपना पक्ष रख सकता है।

प्रदर्शनकारियों का समर्थन और सवाल

कोलकाता में इस मामले को लेकर प्रदर्शनकारियों ने समर्थन और विरोध दोनों दिखाए। स्थानीय निवासियों और छात्रों ने यह सवाल उठाया कि क्या आरोपी को अधिकतम सजा मिलेगी। यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इस तरह के मामलों में दोषी को सख्त सजा देने की मांग उठती है, खासकर जब अपराध की प्रकृति इतनी जघन्य हो।

न्यायपालिका और समाज पर प्रभाव

यह मामला न केवल एक हत्या और दुष्कर्म का मामला है, बल्कि यह देशभर में महिलाओं की सुरक्षा और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल भी उठाता है। इस मामले में, एक वरिष्ठ वकील ने इसे “देश के लिए ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। उनका कहना था कि इस मामले का फैसला न केवल पीड़िता के परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश होगा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को कानून के तहत कठोरतम सजा दी जाएगी।

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