दिल्ली में राजनीतिक और संवैधानिक संकट की स्थिति गहराती जा रही है। हाल ही में, दिल्ली में भाजपा विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बर्खास्त करने की मांग की है। इस पत्र को राष्ट्रपति कार्यालय ने गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि केजरीवाल जेल में हैं, जिससे सरकार के कामकाज में रुकावट आ रही है।

राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में उठाए गए मुद्दे

भाजपा विधायकों ने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में लिखा है कि अरविंद केजरीवाल जेल में होने के कारण सरकार के महत्वपूर्ण कार्य अटके हुए हैं। पत्र में बताया गया है कि फाइलों पर साइन नहीं हो पा रहे हैं और इस वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है। इस पत्र पर विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता समेत सात अन्य विधायकों और एक पूर्व विधायक के साइन हैं।

संवैधानिक संकट: कोर्ट की प्रतिक्रिया

  1. दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला (10 अप्रैल 2024):
    दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल 2024 को केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की याचिका खारिज कर दी थी। ACJ मनमोहन ने कहा कि यह कार्यपालिका का मामला है और न्यायपालिका को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस प्रकार के मामलों में कार्यपालिका द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए।
  2. सुप्रीम कोर्ट का फैसला (13 मई 2024):
    सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2024 को भी केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस खन्ना ने कहा कि वे दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर दखल नहीं देंगे। यदि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना इस मामले में एक्शन लेना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं।

केजरीवाल की जमानत स्थिति

  • गिरफ्तारी और जमानत:
    अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, 26 जून 2024 को CBI ने भ्रष्टाचार मामले में उन्हें तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई 2024 को ED मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी, लेकिन भ्रष्टाचार मामले में वे जेल में हैं। 5 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने CBI केस में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दिल्ली में वर्तमान संवैधानिक संकट की जड़ें इस बात में हैं कि केजरीवाल की जेल में होने के बावजूद वे मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर दखल देने से इनकार कर दिया है, और यह मामला अब कार्यपालिका द्वारा हल किया जाना है। भाजपा की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र और उपराज्यपाल की संभावित कार्रवाई इस स्थिति को प्रभावित कर सकती है।

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