गुकेश और आनंद
चेन्नई का वेल्लाम्मल संस्थान शतरंज की दुनिया में एक महत्वपूर्ण नाम बन चुका है। यह संस्थान न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में शतरंज के खेल को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। यहाँ से कई ग्रैंडमास्टर्स, जैसे डी गुकेश और आर प्रज्ञानंद, ने अपनी शतरंज यात्रा की शुरुआत की और आज ये दोनों ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतरंज के सितारे बन चुके हैं। वेल्लाम्मल संस्थान ने अपने पाठ्यक्रम में शतरंज को शामिल कर इस खेल को बच्चों के लिए एक अनिवार्य हिस्सा बना दिया है।

सिस्टम और शतरंज की शिक्षा

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा 2013 में शुरू किए गए ‘7 से 17 कार्यक्रम’ का यह संस्थान समर्थक रहा है, जिसका उद्देश्य बच्चों को शतरंज के साथ-साथ सामान्य शिक्षा भी प्रदान करना था। वेल्लाम्मल संस्थान ने इस दृष्टिकोण को अपनाया और इसके परिणाम बहुत सकारात्मक रहे। बच्चों को न केवल शतरंज के बारीकियों की शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। इस संस्थान ने लगातार पांच वर्षों तक विश्व स्कूल शतरंज चैंपियनशिप में जीत हासिल की है, जिसमें गुकेश और प्रज्ञानंद दोनों ने 2021 में विजेता टीम का हिस्सा बने थे।

वेल्लाम्मल संस्थान

 

सफलता के पीछे का कारण

वेल्लाम्मल संस्थान के शतरंज सह-समन्वयक एस वेलावन के अनुसार, यहाँ आने वाले बच्चे शतरंज में गहरी रुचि रखते हैं और इसलिए वे अपनी पढ़ाई और शतरंज दोनों को संतुलित तरीके से निभा पाते हैं। यहाँ के छात्र न केवल शतरंज में सफलता हासिल करते हैं, बल्कि अकादमिक क्षेत्र में भी उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहता है। इसके अलावा, इस संस्थान में विश्वनाथन आनंद जैसे महान शतरंज खिलाड़ी भी बच्चों को खेल की रणनीतियों और कौशल सिखाते हैं, जो छात्रों के लिए एक अद्वितीय अवसर होता है।

शतरंज के नर्सरी से ग्रैंडमास्टर तक

वेल्लाम्मल संस्थान ने शतरंज के क्षेत्र में कई प्रमुख खिलाड़ियों को जन्म दिया है। 2005 के बाद से इस संस्थान से कई ग्रैंडमास्टर्स निकले हैं, जैसे एसपी सेतुरमन, लियोन मेंडोंका, के प्रियदर्शन, बी अधिबन, विष्णु प्रसन्ना, और अन्य। महिला ग्रैंडमास्टर्स में वर्षिनी एस, वैशाली आर (प्रज्ञानंद की बहन), और आर रक्षित जैसी प्रतिभाएँ भी इस संस्थान से निकली हैं। वेलावन ने कहा कि संस्थान में बच्चों को विभिन्न जूनियर स्तरों पर खेलने का अवसर दिया जाता है, जिससे वे मानसिक रूप से मजबूत होते हैं और कठिन प्रतियोगिताओं के लिए तैयार रहते हैं।

गुकेश और आनंद

चेन्नई का शतरंज के रूप में उत्थान

चेन्नई को शतरंज की राजधानी के रूप में माना जाता है, और यह वेल्लाम्मल संस्थान जैसी शतरंज नर्सरी के कारण संभव हो पाया है। यहाँ 60 से अधिक शतरंज अकादमियाँ कार्यरत हैं, जिनमें से ग्रैंडमास्टर आरबी रमेश द्वारा संचालित शतरंज गुरुकुल भी एक प्रमुख नाम है, जो प्रज्ञानंद के गुरु हैं। चेन्नई का यह शतरंज संस्कृति 1970 के दशक से ही मजबूत रही है, और वेल्लाम्मल संस्थान ने इस परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।

आने वाले समय में और भी उम्मीदें

वेल्लाम्नल संस्थान अब अपने छात्रों के लिए और भी अधिक आधुनिक सुविधाओं और कोचिंग की व्यवस्था करने की दिशा में काम कर रहा है। वे शतरंज में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले बच्चों के लिए नए अवसर खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनके प्रयासों से शतरंज का खेल न केवल चेन्नई में बल्कि पूरे भारत में भी तेजी से फैल रहा है, और आने वाले समय में और अधिक ग्रैंडमास्टर्स इस संस्थान से सामने आएंगे।