लाखों श्रद्धालुओं के उत्तराखंड पहुंचने के कारण चारधाम यात्रा में व्यवस्थाओं में कुछ बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रा कर रहे सभी श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो।
बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही यमनोत्री धाम की यात्रा के लिए नई व्यवस्था भी लागू की गई है। श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए टूर ऑपरेटरों को एडवाइजरी जारी करने के लिए निर्देशित किया गया है।
पर्यटक बिना रजिस्ट्रेशन के चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी सुविधा के लिए पुलिस और पर्यटन विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। चार धाम के अतिरिक्त राज्य के अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटक स्थलों के लिए डायवर्जन प्लान तैयार किया जा रहा है। चार धाम में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं के साथ सम्मान और अनुशासन का व्यवहार करेंगे। अधिकारियों को यात्रा मार्ग और चार धाम में पेयजल और विद्युत आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।
यात्रियों की तादाद बढ़ने से कई धामों में श्रद्धालुओं को दर्शन करने का भी मौका नहीं मिल पा रहा है। केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद बीकेटीसी और प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं को गर्भगृह के दर्शन करने की अनुमति दे दी है। पहले कई श्रद्धालु केवल मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर लौट जाते थे।
यमनोत्री धाम में घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से यात्रा करने वाले यात्रियों को अब एक घंटे में दर्शन कर वापस लौटना होगा। नियमों का पालन न करने वाले संचालकों को बिना यात्री के वापस आना होगा। इसके साथ ही धाम में घोड़े-खच्चरों की अधिकतम संख्या भी निर्धारित कर दी गई है। एक दिन में केवल 800 घोड़े-खच्चर ही जा सकेंगे।