शेयर बाजार में मंगलवार को फिर से ‘अमंगल’ का माहौल देखने को मिला, जब प्रमुख बेंचमार्क सूचकांक गिरावट के साथ खुले। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 347.07 अंक गिरकर 72,738.87 पर और निफ्टी 109.85 अंक गिरकर 22,009.45 पर कारोबार करता दिखा। इस दौरान सेंसेक्स अपने नौ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया, जो कि 4 जून 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर था। आईटी शेयरों में भी 1% तक की गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बढ़ा।
शेयर बाजार पर वैश्विक घटनाओं का असर
गिरावट का कारण वैश्विक घटनाएं थीं, जिनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों का उल्लेख किया जा सकता है। उनके प्रस्तावित टैरिफ योजना के बढ़ने की पुष्टि ने एशियाई बाजारों में गिरावट ला दी, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज और आईटी क्षेत्र के शेयरों पर दबाव देखा गया।
सेंसेक्स के टॉप गेनर्स और टॉप लूजर्स
सेंसेक्स के टॉप गेनर्स में भारतीय स्टेट बैंक, इंडसइंड बैंक, जोमैटो, पावर ग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और अदाणी पोर्ट्स शामिल रहे। वहीं, सेंसेक्स के टॉप लूजर्स में नेस्ले इंडिया, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, भारती एयरटेल, टाइटन, इंफोसिस, एशियन पेंट्स, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व और सन फार्मास्यूटिकल्स के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
एशियाई बाजारों में गिरावट, अमेरिकी बाजार भी प्रभावित
एशियाई बाजारों में टोक्यो और हांगकांग में गिरावट रही, जबकि शंघाई और सियोल में स्थिरता देखी गई। सोमवार को अमेरिकी बाजार भी गिरावट के साथ बंद हुए। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.63 प्रतिशत गिरकर 71.17 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इसके साथ ही, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 4,788.29 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची, जो बाजार में नकारात्मक दबाव का कारण बनी।
रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ
विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और बाजार में अस्थिरता के कारण मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ पैसे कमजोर हुआ। रुपया 87.40 के स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा टैरिफ नीतियों की घोषणा और उससे संबंधित अनिश्चितता है, जिसने वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है।
स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में गिरावट
हालांकि, स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली, जिससे बाजार में सटीक निवेश रणनीति की आवश्यकता महसूस हो रही है। निवेशकों को अभी भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि वैश्विक परिस्थितियों का असर भारतीय बाजारों पर जारी रहेगा।