राहुल गांधी

बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक है, और राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हैं। इस बीच, राहुल गांधी के हालिया दौरे और उनके एक बयान ने महागठबंधन की राजनीति में हलचल मचा दी है। राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को ‘फर्जी’ करार देकर न केवल तेजस्वी यादव के प्रमुख चुनावी एजेंडे को चुनौती दी है, बल्कि महागठबंधन की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

राहुल गांधी का बयान और तेजस्वी यादव को झटका

राहुल गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, हाल ही में बिहार दौरे पर गए। वहां उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की, लेकिन तेजस्वी यादव की राजनीतिक रणनीति को अप्रत्यक्ष रूप से झटका दे दिया। राहुल गांधी ने बिहार में हुई जातीय जनगणना को ‘फर्जी’ बताया, जबकि तेजस्वी यादव इसे अपना सबसे बड़ा राजनीतिक उपलब्धि मानते रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने बार-बार दावा किया है कि महागठबंधन सरकार के दौरान बिहार में जातीय जनगणना कराई गई, जिससे सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया। लेकिन राहुल गांधी के इस बयान ने तेजस्वी के इस दावे पर सवालिया निशान लगा दिया।

जातीय जनगणना और बिहार की राजनीति

बिहार की राजनीति में जाति का हमेशा से बड़ा प्रभाव रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया था। हालांकि, 2022 में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ महागठबंधन का दामन थाम लिया, जिसके बाद जातीय जनगणना का काम पूरा हुआ। अक्टूबर 2023 में आरक्षण बढ़ाने की घोषणा भी की गई, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

तेजस्वी यादव ने इस पूरे मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल किया और इसे महागठबंधन की सफलता के तौर पर पेश किया। वह बार-बार कहते रहे कि उनकी सरकार ने जातीय जनगणना कराई और आरक्षण बढ़ाने की पहल की। लेकिन अब, राहुल गांधी के बयान के बाद, भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस क्रेडिट वार में तेजस्वी को कमजोर करने का प्रयास कर सकते हैं।

महागठबंधन की रणनीति पर असर

राहुल गांधी के इस बयान से महागठबंधन की एकता को झटका लग सकता है। कांग्रेस और राजद महागठबंधन के प्रमुख घटक दल हैं, लेकिन इस तरह के बयान सहयोगियों के बीच अविश्वास को बढ़ा सकते हैं। चाणक्य इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि “राहुल गांधी का यह बयान भाजपा के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है। भाजपा इसे चुनावी मंच पर उठाकर महागठबंधन के मतदाताओं में भ्रम पैदा कर सकती है।”

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भाजपा के लिए सुनहरा मौका?

भाजपा इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा भाजपा और महागठबंधन के बीच विवाद का विषय रहा है। भाजपा ने इसे कई बार ‘राजनीतिक स्टंट’ बताया है, और अब राहुल गांधी के बयान के बाद, भाजपा इसे महागठबंधन के अंदरुनी मतभेद के सबूत के तौर पर पेश कर सकती है।

तेजस्वी यादव की अगली चाल

तेजस्वी यादव के लिए यह समय चुनौतियों से भरा है। उन्हें न केवल जातीय जनगणना के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, बल्कि महागठबंधन के अंदर कांग्रेस के साथ तालमेल भी बनाए रखना होगा। तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था कि “अब कोई खेला नहीं होगा,” लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में, उन्हें अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।

नीतीश कुमार और उनकी भूमिका

नीतीश कुमार, जो महागठबंधन के प्रमुख नेता हैं, इस पूरे विवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी चुप्पी के पीछे राजनीतिक समझदारी हो सकती है, क्योंकि जातीय जनगणना का मुद्दा सीधे तौर पर राजद और कांग्रेस के बीच तनाव का कारण बन गया है।

क्या बदलेगी महागठबंधन की रणनीति?

राहुल गांधी के बयान से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। तेजस्वी यादव को अब अपनी रणनीति दोबारा सोचनी होगी। बिहार में विकास और सामाजिक न्याय का मुद्दा जाति की राजनीति के सामने कमजोर पड़ता है। ऐसे में, तेजस्वी को जातीय जनगणना के मुद्दे को मजबूती से उठाने के साथ-साथ विकास और रोजगार जैसे मुद्दों को भी प्राथमिकता देनी होगी।

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