बिहार में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. राजनीतिक पार्टियां सियासी बिसात बिछाने में जुटी है तो धार्मिक एजेंडा सेट किए जाने लगे हैं. धार्मिक बाबाओं का बिहार दौरा शुरू हो गया है. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार के गोपालगंज में अपना डेरा जमा रखा है तो आर्ट ऑफ लिंविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर शुक्रवार को बिहार दौरे पर पहुंच गए हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत बिहार के पांच दिन के दौर पर पहले से हैं. चुनावी तपिश के बीच धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे के मायने तलाशे जाने लगे तो वहीं सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ये किसके लिए सियासी जमीन तैयार करेंगे?
बीजेपी का एजेंडा पूरी तरह सेट
2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती माना जा रहा है। बीजेपी ने इस चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयारियां शुरू कर दी हैं, और पार्टी के प्रमुख नेता जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार का दौरा भी किया है। इसके साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत, धीरेंद्र शास्त्री, और श्री श्री रविशंकर जैसे धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने गोपालगंज में हनुमंत कथा के आयोजन के दौरान हिंदू समाज को एकजुट करने की बात की। शास्त्री ने कहा कि वे हिंदुओं की सुरक्षा और अस्तित्व के लिए लड़ने आए हैं, न कि किसी राजनीतिक दल के लिए वोट मांगने। उनका यह बयान बिहार के सियासी परिप्रेक्ष्य में एक स्पष्ट संदेश था, खासकर जब गोपालगंज आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है।
इसी बीच, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी बिहार का दौरा किया। उन्होंने राज्य के विभिन्न स्थानों पर सत्संग आयोजित किए, जिनमें ध्यान, योग, और जीवन जीने की कला पर प्रवचन दिए। विशेष रूप से, वे 1026 ईस्वी में महमूद गजनवी द्वारा खंडित किए गए शिवलिंग को बिहार लाए, जो अब सार्वजनिक दर्शन के लिए प्रस्तुत किया गया है। रविशंकर ने बिहार के विकास की सराहना करते हुए इसे अब पिछड़ा राज्य नहीं, बल्कि आगे बढ़ता हुआ राज्य बताया।
मोहन भागवत भी पहुंचे बिहार
संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बिहार में हैं और उन्होंने राज्य के लोगों की प्रशंसा की, साथ ही बिहारवासियों के समर्पण और मेहनत की सराहना की। भागवत का यह दौरा भी बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे उनका संदेश साफ है कि बिहार में हिंदू वोटों को एकजुट किया जा रहा है।
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण होते हैं, और बीजेपी इस बार अपनी रणनीति में धर्म को केंद्रित करके हिंदू समाज को एकजुट करना चाहती है। धार्मिक गुरुओं का यह दौरा इसी उद्देश्य के तहत देखा जा रहा है, जिससे बीजेपी 2025 में सत्ता में आने की तैयारी कर रही है। हालांकि, आरजेडी इसे बीजेपी का सियासी प्रयोग मानते हुए विरोध कर रही है।
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