सोनीपत के गन्नौर में भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और भारतीय कुश्ती संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र कादियान ने टिकट कटने की खबर के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कादियान ने यह घोषणा फेसबुक पर लाइव आकर की, जिसमें उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

देवेंद्र कादियान का इस्तीफा

देवेंद्र कादियान ने फेसबुक लाइव के माध्यम से भाजपा से अलविदा लेते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने पार्टी के भीतर टिकटों की खरीद-फरोख्त और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया। कादियान ने कहा कि भाजपा में टिकटों का वितरण अब पैसे और प्रभाव के आधार पर हो रहा है, जो कि लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करता है। उन्होंने इस मुद्दे पर पार्टी की नीतियों की आलोचना की और अपनी पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

कादियान ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी में टिकटों की खरीद-फरोख्त चल रही है, जिससे योग्य और मेहनती उम्मीदवारों को दरकिनार किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए हानिकारक है और इससे जनता का विश्वास पार्टी और राजनीतिक प्रणाली से उठ सकता है। कादियान ने पार्टी नेतृत्व पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी के मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा नहीं की।

देवेंद्र कादियान ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की: 12 सितंबर को गन्नौर में जनसभा और नामांकन

देवेंद्र कादियान ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की। कादियान ने 12 सितंबर को सुबह 10 बजे गन्नौर की अनाज मंडी में एक जनसभा आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसके बाद वे अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।

उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी के भीतर टिकटों की खरीद-फरोख्त और लोकतंत्र के उल्लंघन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। कादियान का कहना है कि अब वे जनता के साथ सीधे संपर्क में रहकर चुनावी मैदान में उतरेंगे और क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे।

कादियान के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा ने गन्नौर की सियासत में हलचल मचा दी है। भाजपा के लिए यह एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है, खासकर जब पार्टी के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता ने पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाए हैं और अपने राजनीतिक करियर को एक नए दिशा में मोड़ा है। कादियान की विदाई और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, जो पार्टी की चुनावी रणनीतियों और क्षेत्रीय सियासत को प्रभावित कर सकती है।

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