छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में एक और बड़ी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता प्राप्त की है। नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई इस मुठभेड़ में चार नक्सली मारे गए हैं। इस मुठभेड़ में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का एक जवान शहीद हो गया, जबकि तीन जवान घायल हुए हैं। मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने चार नक्सलियों के शव बरामद किए, जिनमें दो महिला नक्सली भी शामिल हैं। इसके अलावा, मौके से एके-47 राइफल और सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर) जैसे अत्याधुनिक हथियार भी बरामद हुए हैं। इस मुठभेड़ ने एक बार फिर नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों की दृढ़ता और बहादुरी को उजागर किया है।
मुठभेड़ का घटनाक्रम
शनिवार, 5 जनवरी 2025 की शाम को यह मुठभेड़ नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर स्थित दक्षिण अबूझमाड़ के जंगलों में हुई। सुरक्षाबलों की एक संयुक्त टीम, जिसमें डीआरजी और एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के जवान शामिल थे, नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी। शाम करीब छह बजे गोलीबारी शुरू हुई, जब नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया। इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई की। दोनों पक्षों के बीच करीब 12 घंटे तक गोलीबारी जारी रही। देर रात गोलीबारी थमने के बाद, सुरक्षाबलों ने मौके पर चार नक्सलियों के शव बरामद किए।
इन शवों में दो महिला नक्सलियों के भी शव शामिल हैं। इसके अलावा, सुरक्षाबलों ने मौके से एके-47 और एसएलआर जैसे स्वचालित हथियार भी बरामद किए, जिससे यह साबित हुआ कि नक्सली भारी हथियारों से लैस थे। मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने जंगल में सर्च ऑपरेशन जारी रखा, जिससे और भी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई। ऑपरेशन में चार जिलों की डीआरजी और एसटीएफ की टीम शामिल थी, जिन्होंने नक्सलियों के खिलाफ सफल ऑपरेशन चलाया।
बलिदान और घायल जवान
मुठभेड़ के दौरान, डीआरजी के प्रधान आरक्षक सन्नू कारम ने अपनी जान की आहुति दी। वह दक्षिण अबूझमाड़ के जंगलों में अपने साथी जवानों के साथ नक्सल विरोधी अभियान पर निकले थे। ऑपरेशन के दौरान उन्हें नक्सलियों की गोलीबारी का सामना करना पड़ा, और इस दौरान वह शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर घटनास्थल से लाने के लिए एमआई-17 हेलिकॉप्टर को रवाना किया गया। यह हेलिकॉप्टर घायल जवानों का रेस्क्यू भी करेगा और शहीद जवान के शव को घटनास्थल से सुरक्षित स्थान पर लाएगा।
इसके अलावा, तीन अन्य जवान घायल हो गए हैं। इनमें से दो जवान डीआरजी और एक एसटीएफ के जवान हैं। तीनों जवानों को सामान्य चोटें आई हैं, और उन्हें इलाज के लिए सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। घायल जवानों का रेस्क्यू करने के लिए जगदलपुर से वायुसेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर भेजा गया था, जो घायल जवानों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाएगा। इस हेलिकॉप्टर के जरिए शहीद जवान सन्नू कारम के पार्थिव शरीर को भी घटनास्थल से लाया जाएगा।
मुठभेड़ में बरामद हुए हथियार
मुठभेड़ स्थल से कई महत्वपूर्ण हथियार और सामग्री बरामद की गई है। अधिकारियों ने बताया कि मौके से एके-47 राइफल, सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर), और अन्य स्वचालित हथियार बरामद किए गए हैं। इन हथियारों से यह स्पष्ट होता है कि नक्सलियों के पास अत्याधुनिक हथियार थे और वह सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़ी संख्या में लड़ने के लिए तैयार थे। बरामद किए गए हथियारों से यह भी प्रतीत होता है कि नक्सलियों का आपसी तंत्र और आपूर्ति व्यवस्था मजबूत है, जो उन्हें लगातार सशस्त्र संघर्ष करने में मदद करती है।
सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन के बाद जंगल में सर्च अभियान जारी रखा है, जिससे और भी नक्सलियों की पहचान की जा सके और अन्य हथियारों तथा सामग्री की बरामदगी हो सके। मुठभेड़ के बाद इलाके में सुरक्षाबलों ने चौकसी बढ़ा दी है और नक्सलियों की संभावित गतिविधियों को रोकने के लिए अन्य रणनीतिक कदम उठाए हैं।
क्षेत्रीय स्थिति और ऑपरेशन की सफलता
बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों का यह ऑपरेशन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सलवाद के प्रभाव में रहा है और यहां नक्सलियों की गतिविधियां अक्सर देखने को मिलती रही हैं। बस्तर का घना जंगल नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका है, जहां वह सुरक्षाबलों से बचने के लिए आसानी से छिप सकते हैं। हालांकि, सुरक्षा बलों ने इस इलाके में नक्सलियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन चलाए हैं और इस मुठभेड़ की सफलता भी इसी क्रम में एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
इस ऑपरेशन की सफलता न केवल सुरक्षा बलों की दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज़ कर रहे हैं। बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी और अभियान नक्सलियों के लिए लगातार एक चुनौती बन चुकी है, और यह मुठभेड़ इस संघर्ष में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
शहीद जवान सन्नू कारम की शहादत
डीआरजी के प्रधान आरक्षक सन्नू कारम का बलिदान इस मुठभेड़ की एक दुखद लेकिन प्रेरणादायक घटना है। उनका बलिदान न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि राज्य और देश के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनके साहस और समर्पण ने यह साबित किया है कि हमारे सुरक्षा बलों के जवान अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। उनकी शहादत को पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि दी जा रही है, और उनकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।
सन्नू कारम की शहादत के बाद, पुलिस और सुरक्षा बलों के अधिकारी उनके परिवार के साथ खड़े हैं और सरकार की ओर से सभी प्रकार की सहायता का आश्वासन दिया गया है। उनकी शहादत ने यह भी संदेश दिया है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक जवान का बलिदान देश के लिए एक प्रेरणा है।
नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई
बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ जारी यह संघर्ष एक लंबी और कठिन यात्रा है। सुरक्षाबल निरंतर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे हैं और उनका लक्ष्य इस आतंकवादी गतिविधि को पूरी तरह से समाप्त करना है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान को और तेज़ किया है और इस इलाके में लगातार सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई है।
नक्सलवाद के खिलाफ इस लड़ाई में सुरक्षाबलों की सफलता और शहीद जवानों की शहादत से यह स्पष्ट होता है कि यदि जनता, सरकार और सुरक्षा बल एकजुट होकर काम करें, तो नक्सलवाद जैसी कुरीति को समाप्त किया जा सकता है।