अयोध्या में रामायण मेला का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई महत्वपूर्ण बयानों से मंच पर उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस अवसर पर सीएम ने अयोध्या के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित किया और रामायण मेला के माध्यम से भारतीय संस्कृति के अद्भुत संगम की बात की। रामायण मेला इस वर्ष 5 से 8 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है, जो कि सरयू तट स्थित रामकथा पार्क में होगा। यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को सनातन धर्म की पवित्र भूमि बताते हुए कहा कि यह वही स्थल है जहाँ से विश्व मानवता के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने कहा कि अयोध्या का इतिहास बेहद गौरवमयी है और यहां पर कोई युद्ध करने का साहस नहीं कर सकता। पिछले वर्ष जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रामलला की प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या ने फिर से विश्वभर में अपनी पहचान बनाई है।

सीएम ने अयोध्या के धार्मिक महत्व के संदर्भ में यह भी कहा कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला फिर से प्रतिष्ठित हुए और पीएम मोदी ने अयोध्या के नागरिकों के प्रति अपना प्रेम और सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या के नागरिकों ने पिछले समय में न्याय नहीं पाया था, लेकिन श्रीराम ने उन्हें हमेशा संरक्षण दिया।

सीएम योगी का बयान: बाबर का चरित्र आज भी जारी

सीएम योगी ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि अयोध्या में जो बाबर ने किया था, वही आज भी संभल में हो रहा है, और बांगलादेश में भी यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं का स्वभाव और डीएनए एक जैसा है। उनका इशारा उन तत्वों की ओर था जो समाज में असंतुलन और हिंसा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। योगी ने चेतावनी दी कि अगर बांगलादेश में ऐसा हो सकता है, तो वही तत्व भारत में भी ऐसे ही कदम उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने इस बात को भी उजागर किया कि कुछ लोग जो विदेशों में संपत्ति रखते हैं, यदि संकट आता है तो वे भाग सकते हैं, लेकिन यहां रहकर संकट का सामना करने वाले लोग केवल आम लोग होंगे। यह बयान समाज में एकता और सुरक्षा बनाए रखने की आवश्यकता को प्रकट करता है।

रामायण मेला: धार्मिक और सांस्कृतिक संगम

रामायण मेला समिति के संयोजक आशीष मिश्र ने बताया कि इस वर्ष के रामायण मेले में न केवल धार्मिक कार्यक्रम होंगे, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम भी देखने को मिलेगा। इस मेले में चार दिनों तक कथा, प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक गायन, नृत्य नाटिका जैसी प्रस्तुतियां दी जाएंगी। संस्कृति विभाग के विभिन्न जिलों के 20 से अधिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

सीएम ने कहा कि यह मेला हर वर्ष एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है, जो लोगों को उनके इतिहास और संस्कृति से जोड़ता है। रामायण मेला में रामकथा के प्रवचन और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जो अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल को और भी समृद्ध करता है।

डॉ. लोहिया का योगदान

रामायण मेला की शुरुआत प्रख्यात समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया की परिकल्पना पर की गई थी। पहले चित्रकूट और बाद में अयोध्या में इस मेले का आयोजन शुरू हुआ था। 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने अयोध्या के रामायण मेला का उद्घाटन किया था। तब से यह मेला भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और रामायण की कथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बन चुका है।

समाजवादी पार्टी पर तंज

सीएम योगी ने समाजवादी पार्टी पर भी तंज कसते हुए कहा कि यह पार्टी बिना गुंडों के संरक्षण के नहीं चल सकती, ठीक वैसे ही जैसे मछली पानी के बिना तड़पती है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से भटक चुके हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के परिवारवादी और आपराधिक संरक्षण की नीति की आलोचना की और कहा कि यह पार्टी अपने आदर्शों को छोड़कर केवल अपने स्वार्थ को साधने में लगी हुई है।

सीएम योगी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि अयोध्या ने हमेशा से समाज की एकता और अखंडता को बनाए रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि रामायण मेला का उद्देश्य न केवल धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करना है, बल्कि यह समाज में सकारात्मकता और एकता का संदेश देने का एक माध्यम है।