हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद हुई पहली ही नियुक्ति पर घमासान मच गया है। रिटोयर्ड आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव लगाए जाने तक तो बात ठीक थी, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की अधिसूचना जारी होते ही घमासान मच गया। पार्टी के कई नेताओं और तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने इतना विरोध किया कि, सरकार की ओर से शुक्रवार की रात आठ बजे जारी नियुक्ति आदेश रात बारह बजे वापस लेने पड़े। सूत्रों का कहना है कि, नियुक्ति आदेशों में कैबिनेट रैंक और पोस्ट का पीरियड मुख्यमंत्री के साथ ही जोड़ने की वजह से पेंच फंसा है।

बता दें कि, जिस समय ये नियुक्ति के आदेश जारी हुए, उस समय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नई दिल्ली में थे। राजेश खुल्लर 1988 बैच के आइएएस अधिकारी रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय बिजली, शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल की ‘गुड बुक’ में शामिल राजेश खुल्लर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पहले कार्यकाल में भी मुख्य प्रधान सचिव थे। इससे पहले वे मनोहर लाल के प्रधान सचिव और मुख्य प्रधान सचिव रहे हैं। हरियाणा में ये पहला मौका था जब किसी ब्यूरोक्रेट्स को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में ऐसा हो चुका है।

दिल्ली केंद्रीय बिजली, शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके प्रधान सचिव रहे 1993 बैच के आइएएस अधिकारी वी़ उमाशंकर भी अब केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। वो केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय में सचिव पद संभालेंगे। उमाशंकर सीएम नायब सिंह सैनी के पहले कार्यकाल में भी उनके प्रधान सचिव के पद पर बने रहे। उमाशंकर पहले भी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की कोशिश कर चुके थे, लेकिन तब मनोहर लाल ने उन्हें रोक लिया था। अब नायब सरकार नया प्रधान सचिव नियुक्त करेगी।

सचिवालय के सूत्रों की मानें तो जब देर शाम उनकी नियुक्ति के आर्डर जारी किए गए तो कैबिनेट के तीन सीनियर मंत्रियों ने इस पर आब्जेक्शन कर दिया। तीनों मंत्रियों ने राजेश खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया। उनका कहना था कि हम चुनाव जीतकर आए हैं, जबकि अधिकारी को बैठे-बिठाए ही ये दर्जा दिया जा रहा है। इसके बाद आदेश वापस ले लिए गए।

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