Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

भारत में अनेकों अद्भुत और अनोखे विश्व प्रसिद्ध स्मारक है। जिनकी कारीगरी और शिल्पकला देखकर ना केवल देश के लोग बल्कि दुनिया के लोग भी काफी हैरान हो जाते हैं। और ये जगहें या कहें ये स्मारक ऐसे स्मारक है, जो आपको ये सोचने पर मजबूर कर देंगे कि, आखिर इनकी कारीगरी और शिल्पकला कैसे हुई। और किन कारणों की वजह से इन स्मारकों को बनाया गया। भारत में ऐसे बहुत सी स्मारक हैं, जो अपने आप में एक ऐसा इतिहास समेटे हुए हैं, जिन्हें जानकर आपको भारत के पौराणिक और गौरान्वित इतिहास का पता चलता है।

Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

आज हम बात करने वाले हैं, एक ऐसी ही स्मारक की। जो राजस्थान के जयपुर में स्थित है। और तो और इस इमारत के बारे में बता दूं तो सैकड़ों वर्षों पहले ही यहां पर बिना किसी एडवांस टेक्नोलॉजी के बह्माण के रहस्यों को जानने की कोशिश की गई। जी हां यहां आपको देखने को मिलेंगे एक या दो नहीं बल्कि 19 यंत्र जो समय मापने से लेकर ग्रहों की स्थिति तक की जानकारी देने का काम करते हैं। अब आप समझ ही गए होंगे कि, आखिर मैं बात किस स्मारक की कर रही हूं। हम बात कर रहे है जयपुर में स्थित जंतर मंतर की।

जंतर-मंतर निर्माण 18 वीं सदीं में सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। विज्ञान, इतिहास और वास्तुकला का अद्भुत संगम है जंतर मंतर। जंतर मंतर दुनिया की सबसे बड़ी पत्थरों से बनी सूर्य की घड़ी का घर है

Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

 

आखिर क्यों बनाया गया था जंतर-मंतर ?

 

महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय को खगोलीय विज्ञान में अत्यधिक रूचि थी। एक बार उन्होंने देखा कि खगोलीय पिंड़ो की स्थिति का निर्धारण करने के लिए उस समय उपयोग की जाने वाली जिस तालिका में वास्तविक स्थिति और तालिका में दी गई गणनाओं के बीच मेल नहीं था। इस समस्या का हल करने के लिए उन्होंने 5 नई वेदशालाओं का निर्माण करवाया। वहीं जंतर-मंतर में यंत्रों पर आपको स्केल भी देखने को मिलेंगे। और इतना ही नहीं यहां सूरज की छाया भी 1 मिली मीटर प्रति सेंकंड की नजर से दिखती है। जंतर-मंतर का निर्माण स्थानीय संगमरमर पत्थरों से किया गया था

Jantar Mantar: विज्ञान-इतिहास का अद्भुत करिश्मा ‘जंतर-मंतर’

और इन्हीं संगमरमर के अंदर की जगहों पर स्केल अंकित है। ये वेदशाला लगभग 18 हजार 700 वर्ग मीटर में बनी हुई है। इस वेदशाला का प्रयोग 1800 तक नियमित रूप से किया जाता था। लेकिन उसके बाद ये वेदशाला उपेक्षा और जर्जर अव्यवस्था में चली गई। लेकिन जंतर मंतर ने नया मोड़ तब लिया जब 1948 में जंतर मंतर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया। और 2006 में इसका पुर्नस्थापन किया गया। और आज के समय में जंतर मंतर को हर कोई देखना चाहता है।

और अगर आपको भी विज्ञान का ये अद्भुत नमूना देखना है तो ये काफी अच्छा समय है आपके लिए। आप यहां जाकर विज्ञान और कला का अद्भुत मिश्रण देख सकते हैं। तो कब बना रहे है जंतर मंतर देखने का प्लान… कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा।

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