आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है, और इस निर्णय के बाद अखाड़े में एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है। यह कदम अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दिए जाने के बाद उठाया गया है। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पदमुक्त कर दिया और ममता कुलकर्णी को भी इस पद से हटा दिया। यह विवाद किन्नर अखाड़े में गहरे मतभेदों को उजागर करता है, और इसके बाद से दोनों पक्षों के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद
अधिकारियों का कहना है कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के बाद किन्नर अखाड़े में विरोध शुरू हो गया था। कुछ संतों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई थी, जिसके परिणामस्वरूप ऋषि अजय दास ने आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पदमुक्त करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही ममता कुलकर्णी को भी इस पद से हटा दिया गया।
आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस कार्रवाई को अनुचित बताया है। उनका कहना है कि ऋषि अजय दास को पहले ही किन्नर अखाड़े से निकाला जा चुका है, इसलिए वह किस हैसियत से ऐसी कार्रवाई कर सकते हैं। त्रिपाठी ने इस फैसले को व्यक्तिगत और अनुशासनहीन बताया और कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई की योजना पहले से ही बनाई जा रही थी।
किन्नर अखाड़े के भीतर बढ़ते विवाद
आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ऋषि अजय दास के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक हुई है। अजय दास ने आरोप लगाया कि त्रिपाठी बिना उनकी सहमति के 2019 के कुंभ मेले में जूना अखाड़े के साथ एक अनुबंध कर चुके थे, जो अनैतिक और विधि के खिलाफ था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला सनातन धर्म की छवि को धूमिल कर रहा था।
इसके परिणामस्वरूप, किन्नर अखाड़े ने चार नए महामंडलेश्वर समेत चार श्रीमहंतों का चयन किया। इन सभी धार्मिक क्रियाओं को आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में विधि-विधान से संपन्न कराया गया था। इस दौरान अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भी शिरकत की, जैसे कि जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंद, किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी पार्वती नंद गिरि, और अन्य कई प्रमुख संत।
ऋषि अजय दास का बयान
ऋषि अजय दास ने मीडिया को जारी किए गए पत्र में कहा कि वर्ष 2015-16 में उज्जैन के महाकुंभ में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। उनका मानना था कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इस पद का उद्देश्य छोड़ चुके हैं और उनके द्वारा किए गए निर्णयों से यह पदवी अनुकूल नहीं रही। उन्होंने यह भी कहा कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने का निर्णय किन्नर अखाड़े की परंपराओं और संस्कृति के खिलाफ था, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।