असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने दिल्ली में ताल ठोककर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।इससे पहले ओवैसी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और महाराष्ट्र के चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब देश की राजधानी के चुनावी रण में ओवैसी की पार्टी उतर रही है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से कम से कम 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक, AIMIM सीलमपुर, बाबरपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, ओखला, जंगपुरा, सदर बाजार, मटिया महल और करावल नगर सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने का मन बना चुकी है। इनमें से करीब 8 सीटें मुस्लिम बहुल हैं। इसी क्रम में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने मुस्तफाबाद से दिल्ली में हुए दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाया है। इस ऐलान से एक बात साफ़ है कि इस बार दिल्ली में मुसलमानों के वोट में बड़ी सेंधमारी हो सकती है। अब ऐसी भी चर्चा है कि दिल्ली दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने वाला शाहरुख पठान भी चुनाव लड़ सकता है।
दरअसल ओवैसी की पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष शोएब जमई ने हाल ही में शाहरुख के परिवार से मुलाकात की थी और ये कहा था कि अगर परिवार और वहां की लोकल अवाम चाहे तो पार्टी चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं। अब सवाल उठता है कि दिल्ली में ओवैसी की पार्टी एक के बाद एक विवादित चेहरों पर दांव क्यों लगा रही है। इसके पीछे भी पार्टी की कोई अपनी रणनीति है।
बता दें कि दिल्ली में मुस्लिम मतदाता कभी कांग्रेस के साथ हुआ करते थे। लेकिन केजरीवाल के उभार के बाद मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी के साथ शिफ्ट हो गए। अब ऐसे में जब असदुद्दीन ओवैसी दिल्ली में पांव जमाते हैं तो क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गेम बिगड़ जाएगा। क्योंकि ताहिर हुसैन और शाहरुख पठान जो दिल्ली दंगों के आरोपी है। उन्हें AIMIM चुनाव मैदान में उतारकर या उतारने की बात कर क्या संदेश देना चाहती है? क्या ओवैसी की पार्टी विवादित चेहरों को मौका देकर दिल्ली की सियासत में डेब्यू कर पाएगी और अगर हां तो वह किसका गेम बिगाड़ेगी?