महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी जोरों पर है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद कोपरी पाचपाखाडी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा, रत्नागिरी सीट से उदय सावंत और भंडारा से नरेंद्र भोंडेकर को भी टिकट दिया गया है।
शिंदे गुट ने मौजूदा सांसद रवींद्र वायकर की पत्नी मनीषा वायकर को भी उम्मीदवार बनाया है। मनीषा वायकर ने लोकसभा चुनाव से पहले ठाकरे समूह का समर्थन किया था, लेकिन अब वे शिंदे के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर रही हैं। मुंबई में शिवसेना ने छह उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें दो महिला उम्मीदवार हैं। मनीषा वायकर के अलावा, दिलीप लांडे (चांदिवली), प्रकाश सुर्वे (मगाठाणे), मंगेश कुडालकर (कुर्ला), सदा सरवणकर (माहिम) और यामनी जाधव (भायखला) भी इस सूची में शामिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा, और मतगणना 23 नवंबर को होगी। यह चुनाव एक ही चरण में होगा, जिसमें लगभग 9 करोड़ 63 लाख मतदाता हिस्सा लेंगे। इनमें 5 करोड़ पुरुष वोटर शामिल हैं। चुनाव के लिए एक लाख पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे, जहां हर बूथ पर करीब 960 वोटर होंगे। खास बात यह है कि इस बार मुंबई में पोलिंग बूथों की संख्या बढ़ाई गई है।
नामांकन की प्रक्रिया में पहले दिन 57 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया। निर्वाचन आयोग ने बताया कि नामांकन की प्रक्रिया 29 अक्टूबर को समाप्त होगी, और अगले दिन उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख चार नवंबर है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी चुनावी मैदान में हैं। वे सेंट्रल मुंबई की माहिम विधानसभा सीट से उम्मीदवार बने हैं। मनसे ने हाल ही में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें साउथ-सेंट्रल मुंबई के वर्ली से संदीप देशपांडे को मैदान में उतारा गया है। उनके मुकाबले में शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे की संभावना है। मौजूदा विधानसभा में मनसे के एकमात्र विधायक प्रमोद पाटिल को ठाणे जिले की कल्याण ग्रामीण विधानसभा सीट से दोबारा टिकट दिया गया है।
बता दें कि, इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। सभी दल अपनी ताकत को दिखाने और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तैयारी कर रहे हैं। चुनावी माहौल में उथल-पुथल और गठबंधनों की हलचल भी साफ नजर आ रही है। शिंदे गुट के चुनावी संघर्ष में उनके उम्मीदवारों की रणनीति और मतदाताओं के बीच अपनी छवि बनाने की कोशिशें अहम होंगी। यह चुनाव राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा और जनता की प्राथमिकताओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।