अरुण श्रीवास्ताव, लेखक
मोदी सरकार की तीसरी पारी में अर्थव्यवस्था पर हो रही किरकिरी से सरकार को उबारने के लिए मोदी की हितेषी कंपनियां एक विशाल निवेश योजना बनाने की तैयारी कर रही हैं। S & P ग्लोबल रेटिंग्स के मुताबिक यह निवेश अगले दस सालों में 800 अरब अमेरिकी डॉलर (67,236,000 करोड़ रुपये) का होगा। यह महत्वाकांक्षी निवेश योजना पिछले दस वर्षों में इन बड़ी कॉर्पोरेट संगठनों द्वारा खर्च की गई राशि का लगभग तीन गुना है।
इन कंपनियों के निवेश का लगभग 40% भाग नए और उभरता हुआ क्षेत्रों जैसे कि हरा हाइड्रोजन, क्लीन एनर्जी, एविएशन, सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), और डेटा सेंटर में होगा। इन क्षेत्रों में होने वाले निवशों को प्रमुख रुप से वेदांता, टाटा, अदानी, रिलायंस और JSW समूह द्वारा किया जा रहा है। यह कंपनियां अगले 10 वर्षों में इन क्षेत्रों के विकास के लिए लगभग 350 अरब यूएस डालर का निवेश करेंगे।
S & P ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिट एनालिस्ट नील गोपालकृष्णन ने बताया: “आगामी दशक में भारतीय कंज्यूमर की करीब 40 प्रतिशत खर्च नई व्यवसायों जैसे कि, हरा हाइड्रोजन, स्वच्छ ऊर्जा, विमानन, सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और डेटा सेंटर पर होगा। वेदांता, टाटा, अदानी, रिलायंस और JSW ग्रुप अकेले इन क्षेत्रों में अगले दशक में लगभग 350 बिलियन डॉलर का निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं।
जबकि भारत के सबसे बड़े व्यापारी घराने नई क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं वहीं दूसरी ओर कई अन्य कंपनियां मौजूदा व्यवसायों में निवेश जारी रखेंगे ताकि वे अपनी गुणवत्ता और लाभप्रदता को बढ़ा सकें। बिड़ला, महिंद्रा, हिंदुजा, हीरो, ITC, बजाज और मुरुगप्पा ग्रुप जैसे कंपनियां, जो अपने सतर्क विकास रणनीतियों के लिए जानी जाती हैं, इस दृष्टिकोण को बनाए रखेंगी।
S & P ग्लोबल रेटिंग्स की उम्मीद है कि, आने वाले 10 वर्षों में मौजूदा व्यवसायों में लगभग 400-500 बिलियन डॉलर का निवेश होगा, यदि वे पिछले 2 वर्षों की तरह ही निवेश करना जारी रखते हैं। कम संचालन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बहुत जरूरी होगा क्योंकि वे बड़े पैमाने पर निवेश करने के जोखिमों का सामना कर रहे हैं।
ये केवल लेखक के विचार हैं।