दुर्गा पूजा का पवित्र माहौल

काशी में दुर्गा पूजा का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। शारदीय नवरात्र की नवमी पर शहर की गलियों में उल्लास और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने ढाक की मधुर धुन पर श्रद्धालु नृत्य करते रहे। हरसुंदरी धर्मशाला में जब ढाक की थाप बढ़ी, तो श्रद्धालुओं के कदम भी थिरकने लगे। पंडालों में मां दुर्गा की पूजा का आलम ऐसा था कि गलियों की रौनक मानो पंडालों से जुड़ गई हो।

धुनुची नृत्य का जादू

धुनुची नृत्य का एक अलग ही रंग देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा के सामने अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए पूरे उत्साह से नृत्य किया। हर कोई इस अद्भुत नृत्य के ताल और लय में डूबा रहा, जिससे हर जगह एक पवित्र और आनंदित माहौल बना रहा।

डांडिया और गरबा की धूम

इसके साथ ही, मंडुवाडीह स्थित एक होटल में आयोजित डांडिया और गरबा नाइट का आयोजन भी हर्षोल्लास के साथ हुआ। गुजराती गीतों पर महिलाओं और पुरुषों ने जमकर थिरका। बॉलीवुड गीतों पर भी युवाओं ने अपने कदमों का जादू बिखेरा। इस कार्यक्रम में गरबा क्वीन का चयन भी किया गया, जिसमें अमन प्रीत, मयुरी और रोशनी विजेता बनीं।

हवन-पूजन और विदाई की तैयारियाँ

शारदीय नवरात्र की नवमी पर मां दुर्गा को विदाई देने के लिए हवन-पूजन का आयोजन किया गया। प्रतिमाओं का विसर्जन विजयदशमी पर होने वाला है, जिसके लिए शहर के तालाबों और कुंडों पर तैयारियाँ की जा चुकी हैं। इस दिन रावण दहन और दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन एक साथ होगा।

शुक्रवार को घरों से लेकर मंदिरों तक कन्या पूजन और हवन की तैयारी की गई। हवन में सप्तशती और नर्वाण मंत्रों का पाठ किया गया, जिससे पूरा माहौल सुवासित हो उठा। हवन के बाद मां दुर्गा को विदाई दी गई, जो इस पवित्र पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

माता सिद्धिदात्री की आराधना

नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि पर श्रद्धालुओं ने माता सिद्धिदात्री के दर्शन किए। भक्तों ने मां से अष्ट सिद्धि, नौ निधि और ज्ञान की कामना की। गोलघर स्थित मां सिद्धिदात्री के विग्रह का भोर में पंचामृत स्नान हुआ, जिसके बाद माता की आरती उतारी गई।

कन्या पूजन का महत्व

शारदीय नवरात्र की नवमी पर घरों और मंदिरों में कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व रहा। 101 कुंवारी कन्याओं का पूजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। श्रीश्री गीता सोसाइटी के आश्रम में महानवमी के सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन इसी पूजन के साथ हुआ।

देवी स्वरूप में कन्याओं का पूजन

बाबा कीनाराम स्थल पर भी नौ कन्याओं और भैरव की पूजा की गई। पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ने बाल कन्याओं को देवी स्वरूप में प्रतिष्ठित किया। यह पूजन न केवल धार्मिक था, बल्कि समाज में नारी की भूमिका को भी सम्मानित करने का एक प्रयास था।

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