लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी का ‘400 के पार’ का सपना ध्वस्त हुआ, और पार्टी को महज 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा। सहयोगी दलों की मदद से केंद्र में सरकार बनाने के बावजूद, बीजेपी ने आगामी राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए नई रणनीति के साथ प्रचार शुरू किया। लेकिन हालिया एग्जिट पोल ने पार्टी की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है।हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनने की मुख्य वजह रही है सेना की अग्रिवीर भर्ती योजना और तीन कृषि बिल, जो किसानों और युवाओं को बीजेपी से दूर ले गए। भले ही बीजेपी ने कृषि बिल वापस लिए, लेकिन किसानों का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ है। मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सैनी को सीएम बनाने का दांव भी विफल होता नजर आ रहा है। इसके अलावा, टिकट बंटवारे के चलते पार्टी में बढ़ती अंदरूनी कलह ने भी बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है। कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है, जिससे पार्टी की स्थिति और कमजोर हुई है। जम्मू-कश्मीर में एग्जिट पोल के परिणाम बताते हैं कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन बहुमत के करीब पहुंच रहा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि स्थानीय जनता का रुझान उनकी तरफ बढ़ेगा, लेकिन हालात इसके विपरीत हैं। पिछले कुछ समय में बढ़ते आतंकी हमलों और केंद्र सरकार की नाकामियों ने जनता का भरोसा खो दिया है। बीजेपी ने स्थानीय दलों के साथ सामंजस्य बनाने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिससे वह राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गई। इंडिया टुडे-सी वोटर के सर्वे के मुताबिक, हरियाणा में कांग्रेस को 50 से 58 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि बीजेपी को 20 से 28 सीटें मिलने का अनुमान है। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को 40 से 48 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजेपी के लिए 37 से 32 सीटें संभावित हैं।इंडिया टीवी एग्जिट पोल के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन को 35-45 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजेपी को 24-34 सीटें मिल सकती हैं। हरियाणा में भी कांग्रेस को 59 सीटों का अनुमान जताया गया है, जबकि बीजेपी को 23 सीटों पर बढ़त दिखाई गई है।यदि एग्जिट पोल के परिणाम हकीकत में बदलते हैं, तो बीजेपी के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक संकट हो सकता है। हरियाणा में कांग्रेस का उभार और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की गिरती स्थिति, दोनों ही संकेत देते हैं कि पार्टी को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने की जरूरत है। आगामी चुनावों में यदि बीजेपी ने अपने मुद्दों और स्थानीय भावनाओं को समझने में चूक की, तो परिणाम और भी चिंताजनक हो सकते हैं। 8 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान होगा, जो बीजेपी के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

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