हरियाणा विधानसभा चुनावों का माहौल गर्म है और हालिया घटनाक्रम ने राजनीतिक दलों में हलचल मचा दी है। नूंह हिंसा के आरोपी बिट्टू बजरंगी का योगी आदित्यनाथ की रैली में मंच साझा करना और बीजेपी उम्मीदवार के प्रति समर्थन की घोषणा ने सियासी गलियारों में चर्चा को जन्म दिया है। इस लेख में हम इस घटनाक्रम का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
बिट्टू बजरंगी, जिनका असली नाम बिट्टू है, का नाम नूंह में हुई हिंसा के मामले में उभरकर आया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुलिस ने उनके खिलाफ नूंह हिंसा के दौरान कई मुकदमे दर्ज किए थे, जिनमें डकैती, धोखाधड़ी और धार्मिक भावनाओं का अनादर शामिल हैं। इसके अलावा, बिट्टू पर 12 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई मामलों का संबंध विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों से है।
बिट्टू बजरंगी ने हाल ही में फरीदाबाद में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली में मंच साझा किया। यह रैली बीजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में आयोजित की गई थी, जहां उन्होंने एनआईटी विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सतीश फागना के लिए वोट मांगा। योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में बिट्टू का समर्थन देने का निर्णय राजनीति के कई पहलुओं को उजागर करता है।
बिट्टू बजरंगी के मंच पर दिखने के बाद विपक्ष ने बीजेपी पर कई सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि अगर बीजेपी ऐसी विवादास्पद व्यक्तियों को अपने मंच पर स्थान दे रही है, तो यह संकेत देता है कि पार्टी सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दे रही है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि बीजेपी का यह कदम लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
बीजेपी, जो हरियाणा में 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने किसी भी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है। इस बार पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों के माध्यम से चुनाव प्रचार को तेज कर दिया है। योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं की उपस्थिति से पार्टी को एक मजबूत सांप्रदायिक आधार बनाने की कोशिश की जा रही है। बिट्टू बजरंगी के समर्थन ने बीजेपी को एक नया सहारा दिया है, जो पार्टी की चुनावी रणनीति में सहायक हो सकता है।
बिट्टू बजरंगी ने कहा है कि उन्होंने यह कदम अपने “सनातनी साथियों” के कहने पर उठाया है। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि वे किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे योगी आदित्यनाथ का सम्मान करते हैं, और इसी सम्मान के कारण उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया। यह बयान एक तरफ बीजेपी को एक वैधता प्रदान करता है, वहीं दूसरी तरफ यह भी संकेत करता है कि उनकी राजनीति में साम्प्रदायिकता का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। बीजेपी के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दलों में कांग्रेस और आईएनएलडी का गठबंधन है। जेजेपी और आजाद समाज पार्टी भी एक साथ चुनावी मैदान में हैं। इस बार की चुनावी लड़ाई में सभी दल अपने-अपने तरीके से चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं।