चंडीगढ़| हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता को हटा दिया गया है। गुरुग्राम में जिला बाल कल्याण परिषद में हुए भ्रष्टाचार के एक मामले में उन पर गाज गिरी है। रंजीता पर भ्रष्टाचार के आरोपित को बचाने का आरोप है, जिसके चलते कुछ दिनों पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी उनसे इस्तीफा मांग लिया था। इस बीच बदले घटनाक्रम में वह पद पर बनी रहीं, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी उन्हें हटाने की सिफारिश कर दी। इसके बाद राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
राज्यपाल की ओर से मंगलवार को जारी आदेशों में कहा गया है कि रंजीता मेहता की 13 मई 2022 को हरियाणा बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव के रूप में की गई नियुक्ति के आदेश तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाते हैं। अगले आदेश तक महिला एवं बाल कल्याण विभाग ही राज्य बाल कल्याण परिषद के कामों को देखेगा। सूत्रों के मुताबिक रंजीता मेहता गुरुग्राम में जिला बाल कल्याण परिषद में हुए भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपित के पक्ष में खुलकर खड़ी हुईं थी।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने तत्कालीन पूर्व CM मनोहर लाल को मामले से अवगत कराया तो उन्होंने भी इस पर सख्ती दिखाते हुए राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव से न केवल जवाब तलब कर लिया, बल्कि उन्हें इस्तीफा देने की हिदायत भी दे डाली। इसी बीच मुख्यमंत्री बदल गए और रंजीता मेहता अपने पद पर बनी रही। अब नए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने भी उन्हें पद से हटाने का निर्णय ले लिया। सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने रंजीता को पद से हटा दिया है।
राज्यपाल द्वारा पद से हटाने से पहले रंजीता मेहता ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पास एक रिमाइंडर भेजकर बाकी बची हुई ग्रांट जारी करने की मांग की थी। यह राशि करीब तीन करोड़ रुपये की थी, जिसमें हवाला दिया गया था कि यदि समय से राशि जारी नहीं की गई तो 31 मार्च के बास बजट लैप्स हो जाने की समस्या खड़ी हो जाएगी। वित्त विभाग की ओर से बजट तो जारी नहीं हुआ, लेकिन राजभवन से उन्हें हटाने के आदेश जरूर जारी हो गए।