हरियाणा विधानसभा चुनावों के बीच, मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में घमासान मच गया है। भाजपा में जहां पहले से ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जा चुका है, वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए चार प्रमुख दावेदार उभर कर सामने आए हैं।

भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर उठापटक

अनिल विज की चुनौती:
भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान तब शुरू हुआ जब पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने खुलकर मुख्यमंत्री पद का दावा किया। विज ने इस चुनावी मौसम में अपनी दावेदारी पेश कर दी है, जबकि 2014 और 2019 के चुनावों में भी वह इस पद के लिए दावेदार रहे थे। दोनों बार, पार्टी हाईकमान ने उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई और मनोहर लाल को मुख्यमंत्री नियुक्त किया। अब, विज ने अपने दावे के साथ एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है, जिससे पार्टी के भीतर विवाद बढ़ गया है।

भाजपा हाईकमान का रुख:
भाजपा हाईकमान ने पहले ही सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने इस घोषणा की थी, लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी सीएम पद के लिए अपनी इच्छा जताई है। राव के बयानों को पहले गंभीरता से नहीं लिया गया था, लेकिन विज के बयान के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। भाजपा में यह एक नई स्थिति है क्योंकि आम तौर पर पार्टी में कोई खुद को सीएम पद का दावेदार घोषित नहीं करता।

सैनी का विरोध:
अनिल विज ने मनोहर लाल के कार्यकाल के दौरान सैनी के मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने का विरोध किया था और उन्होंने बैठक छोड़ दी थी। इसके बाद विज को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया और उनकी जगह अंबाला सिटी के विधायक असीम गोयल को अवसर मिला। यह भी एक संकेत है कि भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर आंतरिक विवाद गहराया हुआ है।

कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार

भूपेंद्र सिंह हुड्डा:
कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे प्रमुख दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं। हुड्डा की स्थिति पार्टी में मजबूत है और उनकी अनुभव और नेतृत्व की क्षमता को देखते हुए उनका नाम सबसे पहले आता है।

कुमारी सैलजा:
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री दलित होना चाहिए और समाज इसकी अपेक्षा करता है। सैलजा का यह बयान भी कांग्रेस के भीतर संभावित नेतृत्व बदलाव को दर्शाता है।

रणदीप सुरजेवाला:
कांग्रेस के एक अन्य प्रमुख दावेदार रणदीप सुरजेवाला हैं, जो पार्टी के विश्वासपात्र नेता हैं। सुरजेवाला ने प्रदेश की नेतृत्व की इच्छा जताई है और उनकी राजनीतिक स्थिति भी पार्टी के भीतर मजबूत है।

दीपेंद्र हुड्डा:
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी की है। दीपेंद्र ने हरियाणा में ‘मांगे हिसाब’ अभियान चलाया है और चार बार के सांसद होने के नाते उनकी स्थिति भी कांग्रेस के भीतर मजबूत है।

हरियाणा विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में कड़ी प्रतिस्पर्धा और विवाद देखने को मिल रहा है। भाजपा में नायब सिंह सैनी के नाम की घोषणा के बावजूद अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह की दावेदारी ने पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ा दिया है। वहीं, कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, और दीपेंद्र हुड्डा के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर प्रतिस्पर्धा जारी है। यह स्थिति आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों की रणनीतियों और संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।

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