हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद एक पुरानी परंपरा रही है, जो 1967 के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर आज तक सक्रिय है। इस परंपरा को नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि यह राज्य की राजनीतिक संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक घरानों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। कांग्रेस, भाजपा, और इनेलो ने अपने-अपने घरानों के सदस्यों को टिकट देकर इस परंपरा को बनाए रखा है।
कांग्रेस, भाजपा और इनेलो द्वारा राजनीतिक घरानों को दिए गए टिकट
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में, कांग्रेस ने 24, भाजपा ने 11 और इनेलो ने पांच सीटों पर राजनीतिक घरानों के प्रत्याशियों को टिकट दिया है। यह संख्या दर्शाती है कि कैसे राज्य की राजनीति में पारिवारिक तत्व अब भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
चौटाला परिवार: सियासी विरासत का नया अध्याय
पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का परिवार इस बार विधानसभा चुनाव में सबसे प्रमुख राजनीतिक परिवारों में से एक है। चौटाला परिवार के सदस्य विभिन्न दलों से चुनावी मैदान में हैं, जो इस परिवार की राजनीतिक विरासत को दर्शाता है:
- रणजीत चौटाला – देवीलाल के बेटे और पूर्व मंत्री, रानियां से निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
- अर्जुन चौटाला – ओमप्रकाश चौटाला के पोते और इनेलो के उम्मीदवार, रानियां से चुनाव लड़ रहे हैं।
- अभय चौटाला – ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे, इनेलो से एलनाबाद सीट से उम्मीदवार हैं।
- दुष्यंत चौटाला – अजय चौटाला के बेटे और जजपा के उम्मीदवार, जींद की उचाना सीट से।
- दिग्विजय चौटाला – अजय चौटाला के दूसरे बेटे, डबवाली से उम्मीदवार हैं।
- आदित्य चौटाला – दिग्विजय के चाचा और इनेलो के उम्मीदवार, डबवाली से।
- अमित सिहाग – देवीलाल के पोते, कांग्रेस के उम्मीदवार डबवाली से।
- सुनैना चौटाला – देवीलाल के तीसरे बेटे प्रताप चौटाला की बहन, इनेलो की उम्मीदवार फतेहाबाद से।
बंसीलाल परिवार: भाई-बहन के बीच सियासी प्रतिस्पर्धा
पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल का परिवार इस बार चुनाव में एक अनोखी स्थिति में है, जहां परिवार के सदस्य विभिन्न दलों से चुनावी मैदान में हैं:
- श्रुति चौधरी – बंसीलाल की पोती और भाजपा के उम्मीदवार, भिवानी की तोशाम सीट से।
- अनिरुद्ध चौधरी – बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के पुत्र और कांग्रेस के उम्मीदवार, तोशाम सीट से।
हुड्डा परिवार: दूसरी और तीसरी पीढ़ी की राजनीति
हुड्डा परिवार की राजनीतिक विरासत भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है:
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा – पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार।
- दीपेंद्र हुड्डा – भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और रोहतक से सांसद, कांग्रेस के उम्मीदवार।
- रणबीर सिंह हुड्डा – पूर्व सांसद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता, जिनके बाद इस इलाके की जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह ने संभाली।
भजनलाल परिवार: चाचा-भतीजे की सियासी भिड़ंत
भजनलाल परिवार के सदस्य भी इस बार चुनावी मैदान में हैं:
- भव्य बिश्नोई – भजनलाल के पोते और भाजपा के उम्मीदवार, आदमपुर सीट से।
- चंद्रमोहन – भजनलाल के छोटे बेटे और कांग्रेस के उम्मीदवार, पंचकूला से।
- दूड़ाराम – भजनलाल के भाई और भाजपा के उम्मीदवार, फतेहाबाद से।
पूर्व मंत्रियों के परिवारों को टिकट
इस बार भाजपा और कांग्रेस ने पूर्व मंत्रियों के परिवारों को भी टिकट दिया है:
भाजपा:
- शक्तिरानी – पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी और कालका से उम्मीदवार।
- सुनील सांगवान – पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे और चरखी दादरी से उम्मीदवार।
- मनमोहन भड़ाना – पूर्व मंत्री करतार भड़ाना के बेटे और समालखा से उम्मीदवार।
कांग्रेस:
- मनजीत पिहोवा – पूर्व मंत्री हरमोहिंद्र सिंह चट्ठा के बेटे और पिहोवा से उम्मीदवार।
- विजय प्रताप – पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप के बेटे और बड़खल से उम्मीदवार।
- उदयभान होडल – पूर्व मंत्री गयालाल के बेटे और होडल से उम्मीदवार।
- नीरज शर्मा – पूर्व मंत्री पंडित शिवचरण लाल शर्मा के बेटे और फरीदाबाद एनआईटी से उम्मीदवार।
- परमवीर टोहाना – पूर्व मंत्री हरपाल सिंह के बेटे और टोहाना से उम्मीदवार।
- बलराम दांगी – पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के बेटे और महम से उम्मीदवार।
सांसदों के परिवारों को टिकट
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में तीन सांसदों के परिवारों को भी टिकट दिया है:
- आदित्य सुरजेवाला – राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे और कैथल से उम्मीदवार।
- पूजा चौधरी – लोकसभा सांसद वरुण चौधरी की पत्नी और मुलाना से उम्मीदवार।
- विकास सहारण – हिसार सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे और कलायत से उम्मीदवार।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में परिवारवाद की राजनीति की प्रमुख भूमिका ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की राजनीति में पारिवारिक तत्व एक प्रमुख और स्थायी हिस्सा हैं। कांग्रेस, भाजपा और इनेलो द्वारा टिकट वितरण में राजनीतिक घरानों की भूमिका से यह प्रमाणित होता है कि पारिवारिक राजनीति आज भी राज्य की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण है। यह चुनावी परिदृश्य यह दर्शाता है कि कैसे पारिवारिक लिंक और विरासत चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन गए हैं, जो राज्य की राजनीति को रंगीन और जटिल बना देते हैं।