अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस टीम ने एक नया ऑल-इन-वन वैक्सीन विकसित किया है, जो कोरोना के सभी ज्ञात और अज्ञात वैरिएंट्स से बचाव कर सकता है। यह वैक्सीन प्रोएक्टिव वैक्सीनोलॉजी नामक तकनीक पर आधारित है, जिसने चूहों में उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं।
यह नई वैक्सीन कैसे काम करती है?
यह वैक्सीन “नैनोकेज” नामक छोटे कणों पर आधारित है जो वायरस के महत्वपूर्ण हिस्सों की प्रतियां ले जाते हैं। जब वैक्सीन को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली इन नैनोकेज पर हमला करना सीखती है, जो बदले में वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दृष्टिकोण भविष्य के वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी होगा, क्योंकि नैनोकेज वायरस के उन हिस्सों को लक्षित करते हैं जो उत्परिवर्तन के लिए कम प्रवण होते हैं।
यह वैक्सीन कब उपलब्ध होगी?
वैक्सीन अभी भी विकास के शुरुआती चरण में है और मानव परीक्षण शुरू होने से पहले इसे और अधिक परीक्षणों से गुजरना होगा। यदि परीक्षण सफल होते हैं, तो वैक्सीन कुछ वर्षों के भीतर उपलब्ध हो सकती है।
यह वैक्सीन महामारी के लिए क्या मायने रखती है?
यह नई वैक्सीन कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है। यदि यह प्रभावी और सुरक्षित साबित होती है, तो यह न केवल मौजूदा महामारी को समाप्त करने में मदद कर सकती है, बल्कि भविष्य में आने वाली महामारियों को भी रोक सकती है।