जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमले में जान गंवाने वाले सुशील नथानियल का इंदौर में अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले सुशील की मां ताबूत से लिपटकर बिलख पड़ीं। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई।

अंतिम यात्रा: हर आंख नम, हर दिल दुखी
सुशील नथानियल की अंतिम यात्रा 23 अप्रैल को इंदौर के वीणा नगर स्थित उनके निवास से शुरू हुई। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर विशेष वाहन में निकला, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पड़ोसी, रिश्तेदार, सहकर्मी और आम नागरिक – हर कोई उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए सड़कों पर उतर आया। नंदा नगर चर्च में धार्मिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जहां ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार उनके आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गईं। इसके बाद जूनी इंदौर के कब्रिस्तान में पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
पत्नी का विलाप और मां की पीड़ा
इस अंतिम यात्रा का सबसे हृदयविदारक दृश्य तब सामने आया, जब सुशील की पत्नी जेनिफर ताबूत से लिपटकर बिलख-बिलखकर रोने लगीं। वह बार-बार बेसुध हो जा रही थीं, और उन्हें संभालने के लिए महिलाओं को काफी मशक्कत करनी पड़ी। सुशील की वृद्ध मां भी अपने बेटे के ताबूत को छोड़ने को तैयार नहीं थीं। उनकी करुण पुकार ने वहां मौजूद हर व्यक्ति को रुला दिया। यह वो पल था, जब न केवल परिवार बल्कि पूरा शहर गमगीन हो उठा।
सुशील नथानियल: एक सरल जीवन, असाधारण बलिदान
सुशील नथानियल, मध्य प्रदेश के जोबट क्षेत्र के मूल निवासी थे और पिछले कई वर्षों से इंदौर में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। वे एलआईसी की आलीराजपुर स्थित सैटेलाइट शाखा में कार्यरत थे। 18 अप्रैल को वे अपनी पत्नी जेनिफर, बेटे ऑस्टिन और बेटी आकांक्षा के साथ कश्मीर घूमने गए थे। यह एक पारिवारिक अवकाश था, जिसे आतंक ने हमेशा के लिए एक दुखद याद में बदल दिया।
22 अप्रैल: वह खौफनाक दोपहर
22 अप्रैल की दोपहर लगभग 2:45 बजे का समय था, जब पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 27 लोगों की जान चली गई, जिनमें सुशील नथानियल भी शामिल थे। उनकी बेटी आकांक्षा को भी गोली लगी, जो इस समय सूरत के बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर हैं। यह परिवार एक पल में तबाह हो गया। एक पिता की मौत, एक बेटी का घायल होना, और पूरे परिवार का मानसिक रूप से टूट जाना – इस त्रासदी की कल्पना भी किसी के लिए असहनीय है।
सुशील की पत्नी जेनिफर खातीपुरा स्थित एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। उनका बेटा ऑस्टिन एक उभरता हुआ बैडमिंटन खिलाड़ी है, और इस हमले के बाद वह भी मानसिक रूप से गहरे आघात में है। आकांक्षा, जो बैंक अधिकारी हैं, हमले में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। यह परिवार कभी सामान्य जीवन जी रहा था, पर अब उनके जीवन में केवल यादें और एक स्थायी पीड़ा बची है।
शोक और संवेदना की लहर
जब बुधवार की रात उनका पार्थिव शरीर इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचा, तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं वहां पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर गहरी संवेदना प्रकट की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी रही, और पूरे इंदौर शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
सुशील नथानियल की शहादत ने आमजन को भी झकझोर दिया है। क्षेत्रीय नागरिकों, दोस्तों, सहकर्मियों और पड़ोसियों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई। कई लोग इस कायरतापूर्ण हमले को लेकर अपना आक्रोश भी प्रकट कर रहे हैं। लोग आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आतंक के खिलाफ आक्रोश
यह हमला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि आखिर कब तक निर्दोष नागरिक आतंक का शिकार होते रहेंगे? सुशील जैसे लोग जो आम नागरिक हैं, अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे थे, वे भी अब सुरक्षित नहीं हैं। यह घटना सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है, विशेष रूप से पर्यटक स्थलों पर।