केंद्र व प्रदेश सरकार ने तालाबों की हालत में सुघार के लिए अमृत सरोवर योजना शुरू की है। जिसके चलते तालाबों की पुनर्स्थापना कि जा रही है। पंचायती राज विभाग के अधिकारी इस योजना से दुर भागने की कोशिश कर रहे हैं। तो ऐसा ही मामला तिगांव स्थित शनिदेव मंदिर के तालाब का है। यहां पुराने तालाब को मॉडल तालाब के रूप में विकसित किया जाना था। काम शुरू हुआ, लेकिन कछुआ गति से चल रहा है। तीन साल बाद भी तालाब का काम पूरा नहीं हो पाया है। तालाब के चारों ओर कूड़ा जमा है। प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर की पहल पर इस तालाब को अमृत सरोवर बनाने की योजना तैयार की गई।मंत्री का पैतृक गांव तिगांव है। तालाब को लेकर वह कई बार अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं। इसके बावजूद अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का जरा सा भी डर नहीं है। बता दें कि मॉडल तालाब बनने के बाद यहां बनने वाले ट्रैक पर ग्रामीण चल सकेंगे। लाइटें भी लगाई जाएंगी।

कछुआ

गांव में जलनिकासी का सबसे बड़ा केंद्र तालाब हैं। यदि समय-समय पर इनकी सफाई होती रहे तो गांव में कहीं भी जलभराव नहीं हो सकता। तिगांव शनिदेव मंदिर के पास काफी पुराना तालाब है। बाजार और आसपास की आबादी का सीवर का पानी इसी तालाब में गिरता है। इस तालाब को नया रूप देने के लिए 71.37 लाख रुपये का बजट तय किया गया है। तालाब का क्षेत्रफल करीब आठ एकड़ है। लेकिन आसपास के लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया है, जिससे अब यहां बमुश्किल पांच एकड़ जमीन बची है। तालाब की खुदाई तो हुई है लेकिन व्यवस्थित तरीके से नहीं। चारों तरफ पटरी तो है लेकिन वह कच्ची है। तालाब के दोनों ओर गांव का कूड़ा डाला जाता है, जहां बेसहारा पशु मुंह मारते रहते हैं।

 

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