कश्मीर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बेसराण इलाके में मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर आतंकियों ने न सिर्फ एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली, बल्कि 12 अन्य लोगों को गंभीर रूप से घायल भी कर दिया। इस भीषण हमले के बाद केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत की और उन्हें जम्मू-कश्मीर जाकर स्थिति का जायजा लेने और तत्काल प्रभाव से आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। इस आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में रोष की लहर है और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं।

घटना के तुरंत बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने आपात बैठक बुलाई, जिसमें सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। बैठक में हमले की बारीकी से समीक्षा की गई और आतंकियों की पहचान, उनकी मूवमेंट और संभावित ठिकानों पर फोकस किया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी भी इस बैठक में वर्चुअली शामिल हुए और उन्होंने मौके से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा की। गृह मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर प्रशासन को हर संभव सहायता देने और घायलों के इलाज में कोई कमी न होने देने के निर्देश भी दिए गए हैं। सरकार यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि इस घटना के पीछे जिम्मेदार आतंकियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और कड़ी सज़ा दी जाए।

हमले की जानकारी के अनुसार, मंगलवार दोपहर लगभग 2 बजे के आसपास, पहलगाम के बेसराण क्षेत्र में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमला इतना अचानक और भीषण था कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। एक पर्यटक की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 12 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों की सहायता से घायलों को तुरंत पास के अस्पताल में पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। कई घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है और सर्च ऑपरेशन जारी है। आतंकियों की तलाश में सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। घटनास्थल के आसपास के सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है और ड्रोन की मदद से निगरानी की जा रही है। इसके अलावा, आसपास के गांवों और जंगलों में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है ताकि आतंकियों को पकड़ा जा सके या उन्हें ढेर किया जा सके।

घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि वे अविश्वसनीय रूप से स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमारे आगंतुकों पर यह हमला बेहद घृणित और अमानवीय कृत्य है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए बताया कि उनकी एक सहयोगी अस्पताल पहुंची है ताकि घायलों की देखरेख की जा सके। उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वे तत्काल श्रीनगर लौट रहे हैं ताकि घटनास्थल और हालात की समीक्षा कर सकें।

इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने गृह मंत्री को साफ निर्देश दिए हैं कि घाटी में सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जाए और ऐसे तत्वों को समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि घायलों के इलाज और मृतकों के परिजनों को राहत देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। केंद्र सरकार का मानना है कि इस तरह के हमलों का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में शांति और पर्यटन को बाधित करना है, लेकिन सरकार और सुरक्षा बलों का संकल्प इससे डिगने वाला नहीं है।

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे थे और पर्यटन फिर से पटरी पर लौटने लगा था। पहलगाम जैसे सुंदर और शांत क्षेत्र में इस तरह की आतंकी घटना ने लोगों को एक बार फिर असहज कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न सिर्फ डर का माहौल बनाती हैं, बल्कि पर्यटन पर भी प्रतिकूल असर डालती हैं, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी प्रभावित होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला योजनाबद्ध था और इसका उद्देश्य बाहरी पर्यटकों को निशाना बनाना था ताकि राज्य की छवि खराब की जा सके और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया जा सके। खुफिया एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पिछले कुछ दिनों से सीमा पार से घुसपैठ की गतिविधियों में तेजी आई है और कई आतंकी संगठन फिर से सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती और बढ़ गई है कि वे घाटी में शांति बनाए रखें और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

घटना के बाद केंद्र सरकार द्वारा तुरंत लिए गए फैसलों से यह स्पष्ट है कि सरकार इस बार कड़ी कार्रवाई के मूड में है। आतंकी हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह का श्रीनगर दौरा और सुरक्षा एजेंसियों को सख्त निर्देश इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों में घाटी में बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन और आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान चलाया जा सकता है। सरकार की प्राथमिकता अब आतंकियों को नेस्तनाबूद करना और जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति स्थापित करना है।

घटना को लेकर आम जनता में भी भारी आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि जब राज्य में सुरक्षा एजेंसियां तैनात हैं, तब भी इस तरह की घटनाएं कैसे हो जाती हैं। लोग यह भी चाहते हैं कि घाटी में स्थायी शांति और सुरक्षा के लिए एक दीर्घकालिक नीति बनाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

केंद्र सरकार द्वारा घोषित मुआवज़ा और चिकित्सा सहायता के साथ-साथ आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, राज्य प्रशासन को भी स्थानीय स्तर पर निगरानी और सूचनाओं को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे गए हैं – विकास योजनाएं, पर्यटन में वृद्धि और युवाओं की मुख्यधारा में वापसी। ऐसे में यह हमला उन सब पर पानी फेरने जैसा है। लेकिन सरकार का कहना है कि वे इस बार आतंकियों के मंसूबों को सफल नहीं होने देंगे।

 

 

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