भारत का नंबर दुश्मन और 26/11 हमले का साजिशकर्ता अब भारत में सड़ेगा। कुछ दिनों बाद उसे फांसी के फंदे पर भी लटकाया जा सकता है। ये वो भेड़िया है जिसने सैकड़ों मासूमों की जान ली, और दुनिया से सबसे भीषण और क्रूर आतंकी हमले को अंजाम दिया। लेकिन अब तहव्वुर हुसैन राणा से एक एक करके उसके गुनाहों का हिसाब लिया जाएगा। तहव्वुर राणा वही शख्स है। जिसने मुंबई हमले में मारे गए आतंकियों को मरणोपरांत पाकिस्तान सर्वोच्च सैन्य सम्मान देने की मांग की थी। तो आप समझ ही गए होंगे की आतंकी तहव्वुर भी पाकिस्तान का ही नागरिक था। क्योंकि आतंकियों की फैक्ट्री तो पाकिस्तान में ही है। हांलाकि कुछ साल पहले इस आतंकी ने पाकिस्तान को छोड़कर कनाडा की नागरिकता ले ली थी। इस आतंकवादी का जन्म 12 फरवरी 1961 को पाकिस्तानी पंजाब के चिचा वतनी में हुआ था। तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई की और पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया। लेकिन इसके बाद वो पत्नी के साथ अमेरिका में शिफ्ट हो गया।
आतंकी हेडली और राणा स्कूल के समय से दोस्त
शिकागो में रहते हुए उसने इमिग्रेशन सर्विसेज बिजनेस शुरू किया और इसी दौरान कनाडा की नागरिकता भी हासिल कर ली। लेकिन यहां गौर करने वाली बात है कि तहव्वूर 26/11 के हमले मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली का काफी करीबी बताया जाता है। जो अमेरिका की एक जेल में अपनी सजा काट रहा है। उसे 24 जनवरी 2013 को शिकागो की एक अमेरिकी अदालत ने 35 साल की सजा सुनाई थी। जो आतंक से जुड़े 12 मामलों में सुनाई गई है। हेडली का असली नाम दाऊद सईद गिलानी है। हेडली और राणा स्कूल के समय से दोस्त थे। हेडली ने स्वीकार किया कि वो लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहा था। इन दोनों आतंकियों ने मिलकर ही मुंबई में आतंकी हमला करवाया था।
आतंकी तहव्वुर राणा भी मुंबई हमले का साजिशकर्ता
तहव्वुर राणा ने डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में टारगेट्स की रेकी करने में मदद की थी। उसने अपनी इमिग्रेशन फर्म के जरिए हेडली को भारत में बिजनेस वीजा दिलवाया। जिसके बहाने हेडली ने हमले की योजना बनाई। हेडली ने मुंबई के ताज होटल, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे स्थानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की थी। तहव्वुर राणा को इसकी सारी जानकारी थी। हेडली हमलों के लिए जगहों की तलाश करने के लिए कई बार मुंबई आया। हेडली की मुंबई यात्रा और पहचान के लिए फर्जी बिजनेस डॉक्युमेंट्स देने से लेकर, रिहायश और फाइनेंसिंग तक, तहव्वुर राणा ने ही सबकुछ मैनेज किया था। हेडली ने भारत आने से पहले तहव्वुर राणा से पूरे ऑपरेशन पर चर्चा भी की थी। हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा, जिसमें बताया कि इस हमले के लिए किस तरह की चीजों की जरूरत है। ईमेल में सामान और पैसों का ब्यौरा दिया गया था.। IA के सबूतों के मुताबिक इसी ईमेल में हेडली ने राणा को साजिश में इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान की संलिप्तता के बारे में भी बताया था।
डेविड हेडली ने लिया था तहव्वुर राणा का नाम
यहां एक और बड़ी बात ये है कि डेविड हेडली की गवाही से ही आतंकी हमले में राणा की संलिप्तता के बारे में पता चला था। गवाही के दौरान हेडली ने कहा था, जुलाई 2006 में वो राणा से मिलने के लिए शिकागो गया था और राणा को मुंबई पर हमले की साजिश के बारे में बताया था। जो लश्कर ने उसे सौंपा था। राणा ने मुंबई में एक फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कार्यालय स्थापित करने की उसकी योजना को मंजूरी दी थी और उसे 5 साल का बिजनेस वीजा प्राप्त करने में मदद की थी।
राणा के गुनाहों का हिसाब होगा
बता दें कि तहव्वुर राणा को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने अक्टूबर 2009 में शिकागो में गिरफ्तार किया। 2011 में अमेरिकी जिला अदालत ने उसे लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेनमार्क में एक अखबार पर हमले की साजिश के लिए दोषी ठहराया। उसे 14 साल की सजा हुई थी। हांलाकि उस वक्त मुंबई हमले में सीधी संलिप्तता से बरी कर दिया। इस सजा को राणा 2020 में पूरा कर लिया। कोविड के चलते उसकी सजा जल्दी पूरी हो गई। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने आतंकी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए नया अनुरोध किया। जिसके बाद राणा को फिर से जून 2020 में लॉस एंजिल्स से गिरफ्तार किया गया। भारत की ओर से दिए गए सबूतों के आधार पर कैलिफोर्निया की अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। कोर्ट ने कहा कि भारत ने पर्याप्त सबूत दिए हैं। वहीं इसके बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 13 फरवरी 2025 को व्हाइट हाउस में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी तो ट्रंप ने कहा था हम एक बहुत खतरनाक व्यक्ति को भारत को सौंप रहे हैं, जो मुंबई हमले का आरोपी है। तो इस तरह से भारत के गुनाहगार को भारत लाया गया और उब धीरे-धीरे उसके गुनाहों का हिसाब होगा।