तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने सियासी जमीन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनवमी के अवसर पर पंबन ब्रिज का उद्घाटन कर चुनावी बिगुल फूंक दिया, वहीं अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर चेन्नई पहुंच चुके हैं। इन दोनों नेताओं की सक्रियता यह संकेत देती है कि बीजेपी अब दक्षिण की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंकने को तैयार है।
तमिलनाडु में अब तक की राजनीति डीएमके और AIADMK जैसे क्षेत्रीय दलों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। बीजेपी, जो अब तक राज्य में कोई बड़ी राजनीतिक सफलता नहीं दर्ज कर पाई है, अब इस समीकरण को बदलने की तैयारी में है। रामनवमी के दिन पीएम मोदी ने रामेश्वरम में दर्शन कर और विकास परियोजनाओं का लोकार्पण कर ‘आस्था और विकास’ के एजेंडे के सहारे दक्षिण में हिंदुत्व की राजनीति का संदेश दिया।
अब अमित शाह का चेन्नई दौरा और वहां संघ विचारक एस. गुरुमूर्ति से मुलाकात इस बात की ओर इशारा करता है कि बीजेपी सिर्फ धार्मिक भावना नहीं, बल्कि रणनीतिक गठजोड़ के जरिए भी डीएमके की ‘द्रविड़ राजनीति’ की काट खोज रही है। अन्नामलाई की विदाई और नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की तैयारी इस दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
बीजेपी की नजर एआईएडीएमके के साथ गठबंधन को फिर से मजबूत करने पर है। माना जा रहा है कि अमित शाह की इस यात्रा में सीट शेयरिंग और सियासी एजेंडे पर भी मंथन होगा। एडापडी के पलानीस्वामी, ओ. पन्नीरसेल्वम और टीटीवी दिनाकरन जैसे नेताओं के साथ संभावित बातचीत गठबंधन की दिशा को तय कर सकती है।
बीजेपी तमिलनाडु में अब तक बाहरी पार्टी मानी जाती रही है। मगर अब वह ‘आस्था’, ‘विकास’ और ‘गठबंधन’ की तिकड़ी से खुद को स्थानीय राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में है। अमित शाह की रणनीति अगर सटीक बैठती है, तो 2026 का चुनावी समर तमिलनाडु की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।
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