सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण नौकरियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बीते दिन एक याचिका दायर कर आदेश में संशोधन की मांग की थी।
क्या था हाईकोर्ट का आदेश?
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति को भ्रष्टाचार का परिणाम मानते हुए उसे रद्द कर दिया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई को पश्चिम बंगाल कैबिनेट द्वारा अतिरिक्त पदों के सृजन की जांच का आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अतिरिक्त पदों का क्या मतलब है?
अतिरिक्त पदों से तात्पर्य उन अस्थायी पदों से है, जो किसी कर्मचारी को समायोजित करने के लिए बनाए जाते हैं, जो किसी नियमित पद का हकदार हो, लेकिन वह पद वर्तमान में खाली न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल कैबिनेट के फैसले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट का निर्देश अनावश्यक था। इस फैसले के साथ ही सीबीआई अब कैबिनेट के फैसले के लिए जांच नहीं कर सकेगी। हालांकि, सीबीआई जांच जारी रहेगी, लेकिन केवल नियुक्तियों से जुड़े अन्य पहलुओं पर।
25,753 नियुक्तियों की रद्दीकरण प्रक्रिया
पहले सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया और चयन प्रक्रिया को भ्रष्ट और दागदार बताया था। कोर्ट ने कहा था कि इस पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ था, जिसके कारण चयन की वैधता और विश्वसनीयता समाप्त हो गई।
भर्ती घोटाले का घटनाक्रम
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2016: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग ने शिक्षक और कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी।
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22 अप्रैल, 2024: कलकत्ता हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को रद्द कर दिया और सीबीआई जांच का आदेश दिया।
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29 अप्रैल, 2024: राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी, और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच पर रोक लगा दी, लेकिन नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश को बरकरार रखा।