राहुल गांधी और कन्हैया कुमार का हालिया बिहार दौरा विवादों से घिरा रहा है, जो कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौतियों का कारण बन गया है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनके दौरे लगातार विवादों का कारण बन रहे हैं। इन घटनाओं ने पार्टी संगठन की गंभीर कमियों को उजागर किया है, जिन्हें चुनावी परिपेक्ष्य में सुधारने की आवश्यकता है।
राहुल गांधी का पिछला बिहार दौरा 4 फरवरी को हुआ था, जब वह पटना में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल हुए थे। हालांकि, इस समारोह ने विवादों को जन्म दिया क्योंकि जगलाल चौधरी के बेटे, भूदेव चौधरी, ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया और न ही सम्मानित किया गया। यहां तक कि उन्हें बैठने के लिए भी स्थान नहीं दिया गया। यह घटना मीडिया में सुर्खियों में आ गई, जिसके बाद कांग्रेस को स्थिति सुधारने के लिए सक्रिय कदम उठाने पड़े। अगले ही दिन, पार्टी ने भूदेव चौधरी को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय बुलाकर सम्मानित किया।
राहुल गांधी के इस बार के बिहार दौरे में भी विवाद पैदा हुआ। जब वह पटना में सदाकत आश्रम में पार्टी की बैठक ले रहे थे, तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच आपस में मारपीट हो गई। यह घटना भी उनके दौरे को विवादों में डालने वाली थी, और यह सिद्ध करती है कि पिछले कुछ महीनों में राहुल गांधी जब भी बिहार पहुंचे हैं, किसी न किसी विवाद का सामना करना पड़ा है।
इसी दौरान कन्हैया कुमार की “पलायन रोको, रोजगार दो” पदयात्रा भी विवादों में रही। उनकी यात्रा के दौरान अररिया में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट का मामला सामने आया, जिसका वीडियो वायरल हुआ। इस घटना ने कन्हैया कुमार की यात्रा को विवादित बना दिया। पार्टी के स्थानीय नेताओं ने भी इस संबंध में बयान दिए, जिससे विवाद और बढ़ गया।
बिहार में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और कन्हैया कुमार की यात्रा एक तरफ पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है, लेकिन दूसरी ओर इन विवादों ने पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस को अपनी रणनीति और संगठन को सुधारने की आवश्यकता होगी ताकि वे इन विवादों से बाहर निकल सकें और जनता में सकारात्मक संदेश भेज सकें।
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