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छत्तीसगढ़ के सूरत जिले का एक ऐसा गांव जहां दिन में लोग नजर नहीं आते. इतना ही नहीं पूरे गांव में दिन में सन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन रात होते ही यहां के युवा से लेकर महिला ग्रामीण तक रोजगार की तलाश में निकलते हैं.

रजपुर को कोयलांचल के नाम से भी जाना जाता है. यहां दर्जनों कोल माइंस संचालित है. सूरजपुर में ऊर्जा का स्रोत कोयला का अपार भंडार है ऐसे में देश के ऊर्जा में सूरजपुर के कोयलांचल का भी बड़ा योगदान रहता है लेकिन स्कूल माइंस के आसपास कई गांव आज अवैध कोयले को अपना रोजगार बना रहे हैं.

चंद पैसों की लालच में ग्रामीण रात को बंद कोयले का खदानों में सैकड़ो की तादाद में घुसते हैं और अपना जान जो अपनी जान जोखिम में डाल कोयला चोरी करते हैं नतीजा दिनभर ग्रामीण घरों में आराम करते हैं और रात को फिर निकल पड़ते हैं अवैध काले रोजगार के लिए.

ग्रामीण अवैध तरीके से खुदाई कर सुरंग से भी कोयला निकाल कर बेचते हैं. ऐसे में एसईसीएल विश्रामपुर और भटगांव क्षेत्र में बीते दो दशक में 30 से ज्यादा लोग अवैध खदान में हादसे में चांद गवा चुके हैं बावजूदित बावजूद इसके यह कल रोजगार बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा ग्रामीणों का कहना है कि रोजगार का अभाव लोगों को कोयले के अवैध परिवहन की ओर ले जाता है

जहां ग्रामीण और स्थानीय जन प्रतिनिधियों का कहना है की चुनावी वोट बैंक के कारण इन अवैध कोयले के अवैध रोजगार रोकने कोई भी नेता इस और बड़ा कदम नहीं उठाता यहां नेता केवल वोट मांगने आते हैं और फिर पूरे 5 साल नजर नहीं आते हैं ऐसे में जिले के कलेक्टर और एडिशनल एसपी ने जल्दी बंद कोयला खदानों और अवैध कोल सुरंग को पूरी तरीके से प्रतिबंधित करने के साथ ही रोजगार की पहल के लिए एसईसीएल से चर्चा करने की बात की है.

बहरहाल एसईसीएल विश्रामपुर और भटगांव से सटे पोंडी समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों की रात के अवैध रोजगार को बंद कर समाज के रोजगार से जोड़ने की पहल करने की जरूरत है.

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