दिल्ली विधानसभा चुनाव में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर चल रहा है. इस हार के बाद कांग्रेस पार्टी अब में बड़े बदलाव के मूड में दिख रही है. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी फरवरी के आखिर तक कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव को अंतिम रूप देने जा रहे हैं। खबर है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को अहम जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना जताई जा रही है। बता दें कि पिछले साल देश में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं। लेकिन उसके बाद हुए तमाम विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार खराब रहा है। पार्टी अब अपने लचर प्रदर्शन के चलते बदलाव करने को मजबूर हुई है। पिछले हफ्ते दिल्ली में खत्म हुए चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। वह 2015 से अब तक लगातार 3 चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी है। पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की प्रक्रिया के लिए राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष खरगे के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है, जिसमें संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी शामिल रहे हैं। अहम बात है कि
प्रियंका गांधी को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी में महासचिव के पद पर तो हैं लेकिन बिना किसी प्रभार के, ऐसे में उन्हें किसी बड़े राज्य का प्रभार दिया जा सकता है या फिर चुनावों की मैनेजमेंट कमेटी बनाकर एक बड़ा रोल सौंपा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान के बाद कांग्रेस में सबसे ताकतवर और राहुल गांधी के सबसे करीबी संगठन महासचिव और पीएसी चैयरमैन केसी वेणुगोपाल के काम काज का बंटवारा एक-दो अन्य लोगों में भी किया जा सकता है। हालांकि, केरल कांग्रेस चुनाव की कमान संभालने तक वो अपने पद पर बने रह सकते हैं।
पुराने महासचिवों की छुट्टी तय !
बताया जा रहा है कि पार्टी में करीब 4 से 5 नए महासचिव बनाए जाएंगे, जबकि कुछ पुराने महासचिवों की छुट्टी तय मानी जा रही है। इसके अलावा बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब और असम के प्रभारी बदले जा सकते हैं। लगभग 8 राज्यों के पार्टी अध्यक्ष भी बदले जाने हैं। हांलाकि ये सभी बदलाव कब तक हो पाएंगे इस बारे में कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। साथ ही रणदीप सुरजेवाला, भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव, भंवर जितेंद्र सिंह या अशोक गहलोत भी संगठन में नई जिम्मेदारी पाते दिख सकते हैं। कहा जा रहा है कि संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश को बदलने का फैसला भी लिया जा चुका है, लेकिन वरिष्ठता में उनका बेहतर विकल्प अभी तक आलाकमान नहीं खोज पाया है। ऐसे में संभवना जताई जा रही है कि, फिलहाल उनकी छत्रछाया में ही नए विकल्पों को आहिस्ता- आहिस्ता अनुभव दिलाया जाए।