How many sons of Ravana took part in Ramayana?How many sons of Ravana took part in Ramayana?

रावण के कितने पुत्रों ने लिया था रामायण में भाग

रामायण से हम भली भांति परिचित है लेकिन क्या हम जानते है कि रामायण में रावण जिनके बिना शायद ही रामायण, रामायण बन पाती। उनके बारे में आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है। रावण जो भगवान शिव के परम भक्त और सर्वज्ञाता थे। उन्हें महान विद्वान और राक्षस राज लंकापति रावण के नामों से भी जाना जाता है।

अब यहां आपको बता दें कि लंकापति रावण की सात संतानें थीं, और सातों की सातों संतान महान योद्धा थे। लंकापति रावण ने तीन विवाह किए थे जिससे उनके सात पुत्र हुए। ये पुत्र न केवल राक्षसों के परिवार में सम्मानित थे, बल्कि वे युद्ध कौशल में भी निपुण थे। रावण के पुत्रों के नाम थे – इंद्रजीत, अतिकाय, अक्षय कुमार, नरान्तक, देवान्तक, त्रिशिरा, और प्रहस्थ।
सबसे पहले हम बात करते हैं महाशक्तिशाली इंद्रजीत के बारे में जिसे मेघनाद के नाम से भी जाना जाता है

1. इंद्रजीत (मेघनाद)

वही मेघनाद जिसने भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को नाग पाश में बांध दिया जिसकी वजह से हनुमान जी को संजीवनी बूटी लानी पड़ी थी। इंद्रजीत रावण का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली पुत्र था। जिसका वास्तविक नाम मेघनाद था, और वो रावण की पत्नी धीमी की संतान था। इंद्रजीत को “मेघनाद” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उसका युद्ध कौशल अद्वितीय था। वो भगवान इंद्र के पुत्र की तरह शक्तिशाली था और युद्ध में अपने अद्वितीय अस्त्रों का प्रयोग करता था। लेकिन अंत में, मेघनाद का अंत भगवान राम के हाथों हुआ। अब बात करते है रावण के दूसरे पुत्र की

2. अतिकाय

अतिकाय रावण का दूसरा पुत्र था। बता दें कि अतिकाय अपने विशाल आकार और अपनी अद्वितिय ताकत के लिए प्रसिद्ध था। अतिकाय के पास अद्भुत युद्ध कौशल था, और उसकी ताकत इतनी अधिक थी कि, वो श्री राम और उनके वानर सेना के लिए एक बड़ा खतरा था। उसने श्री राम के साथ युद्ध के दौरान विशाल आकार में आकर उन्हें बहुत कष्ट दिया था। लेकिन अंततः हनुमान जी ने अतिकाय को मारा और उसे हराया। रावण के तीसरे पुत्र की बात करें तो

3. अक्षय कुमार

अक्षय कुमार रावण का तीसरा पुत्र था और वो हमेशा युद्ध में अपने पिता का साथ देता था। अक्षय कुमार युवा था, लेकिन उसका युद्ध कौशल भी बहुत प्रभावशाली था। उसने श्री राम के साथ युद्ध में भाग लिया था और बहुत साहस दिखाया था। लेकिन अंततः वो श्री राम के हाथों मारा गया था। उसकी मृत्यु रावण के लिए एक बड़ी हार थी, क्योंकि वो उसे बहुत प्रिय था।

4. नरान्तक

नरान्तक रावण का चौथा पुत्र था, जो युद्ध के मैदान में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध था। नरान्तक ने श्री राम के साथ युद्ध किया था, लेकिन उसे अपने पिता के सामने हार का सामना करना पड़ा। नरान्तक का उल्लेख कुछ स्थानों पर कम किया गया है, लेकिन वह भी राक्षसों की सेना में एक महत्वपूर्ण योद्धा था।

5. देवान्तक

देवान्तक रावण का पांचवां पुत्र था और वह भी अपने युद्ध कौशल में दक्ष था। उसने कई युद्धों में भाग लिया था, और उसका नाम राक्षसों की सेना में एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में लिया जाता था। लेकिन उसकी मृत्यु भी श्री राम के हाथों हुई थी, और वह युद्ध में पराजित हुआ था।

6. त्रिशिरा

त्रिशिरा रावण का छठा पुत्र था, और उसका नाम त्रिशिरा इस कारण था क्योंकि उसके तीन सिर थे। त्रिशिरा की युद्ध कौशल और शक्ति भी बहुत प्रख्यात थी। वह अपने तीन सिरों की वजह से बहुत खतरनाक था और युद्ध के दौरान अपनी तीनों आंखों से शत्रुओं को भयभीत करता था। लेकिन उसे भी राम के हाथों मार दिया गया था, और उसकी मृत्यु ने रावण की सेना के लिए एक और बड़ा धक्का दिया था।

7. प्रहस्थ

प्रहस्थ रावण का सातवां और अंतिम पुत्र था। प्रहस्थ का युद्ध कौशल भी बहुत अद्वितीय था, और वह युद्ध के मैदान में कभी पीछे नहीं हटता था। प्रहस्थ ने कई युद्धों में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया, और उसकी शक्ति से राक्षसों की सेना को एक नया आत्मविश्वास मिला था। हालांकि, उसे भी राम के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था और अंत में उसकी मृत्यु हो गई थी।
रावण के इन सात पुत्रों का युद्ध कौशल और वीरता अपने-अपने समय में प्रसिद्ध थी।

वे सभी राक्षसों के महान योद्धा थे, और वे अपने पिता रावण के साम्राज्य को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते थे। हालांकि, रावण और उसके परिवार की हार राम और उनकी वानर सेना के हाथों हुई, और इसके साथ ही रावण के परिवार का महाकाव्य में अंत हो गया।

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