दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कुछ ऐसी हवा चली कि AAP के बड़े-बड़े सूरमा उखड़ गए। खुद अरविंद केजरीवाल चुनाव हार गए। न फ्री का वादा काम आया, न मुफ्त की रेवड़ियां काम आईं और न ही ‘कट्टर ईमानदार’ अरविंद केजरीवाल का चेहरा काम आया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि कभी 70 में से 67 और 62 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार बुरी शिकस्त का सामना करना पड़ा? आइए देखते हैं AAP की हार के 7 बड़े कारण क्या रहे।
एंटी-इन्कंबेंसी
दरअसल 2015 में 70 में से 67 और 2020 में 70 में से 62 सीटों पर जीत के साथ इतिहास रचा। पार्टी लगातार 10 सालों तक दिल्ली की सत्ता में रही। लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करना वैसे भी बहुत आसान नहीं होता क्योंकि सत्ताविरोधी रुझान यानी एंटी-इन्कंबेंसी का खतरा बना रहता है। आम आदमी पार्टी को भी इस फैक्टर का नुकसान उठाना पड़ा।
करप्शन का दाग
खुद को कट्टर ईमानदार कहने वाले अरविंद केजरीवाल को करप्शन का दाग भारी पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें खुद जेल जाना पड़ा। मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा। सत्येंद्र जैन को जेल जाना पड़ा। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी लगातार खुद के कट्टर ईमानदार होने की दुहाई देते रहे लेकिन दिल्ली की जनता ने उनको नकार दिया।
मुफ्त बिजली-पानी मॉडल से आगे नहीं बढ़ी AAP
पहली बार सत्ता में आने के बाद मुफ्त-बिजली पानी वाला मॉडल पेश किया। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की दशा में भी सुधार का दावा किया। सुधार हुए भी, लेकिन उतने भी नहीं जितना आम आदमी पार्टी ढिंढोरा पीटती है। हर नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ा। सड़कें बदहाल रहीं। जगह-जगह गंदगी का अंबार रहा। यमुना को साफ नहीं हो पाई।
फ्रीबीज पॉलिटिक्स में मिला कंपटिशन
विरोधियों ने भी केजरीवाल के खिलाफ उसी हथियार का इस्तेमाल किया जो उनकी ताकत थी। ये हथियार था मुफ्त वाली योजनाओं का जिन्हें राजनीति में फ्रीबीज या मुफ्त की रेवड़ियां भी कहा जाता है। केजरीवाल की फ्रीबीज पॉलिटिक्स को मुफ्त की रेवड़ियां बताकर और देश के लिए घातक बताकर खारिज करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी भी इसी होड़ में कूद गए। बीजेपी ने भी महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये, त्योहारों पर मुफ्त सिलिंडर, बुजुर्गों के लिए बढ़ी हुई पेंशन, मुफ्त इलाज जैसे लोकलुभावन वादे किए। साथ में ये भी कि आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से चलाई जा रहीं मुफ्त वाली योजनाओं को भी जारी रखेंगे। यानिकी बीजेपी ने इस बार केजरीवाल के ही हथियार से केजरीवाल को मात दे दी।
केंद्रीय बजट
चुनाव से ठीक पहले जिस तरह बजट में 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी को इनकम टैक्स से मुक्त करने का जो ऐलान हुआ, उसका सीधा लाभ बीजेपी को दिल्ली चुनाव में मिला।
अरविंद केजरीवाल की गैर-जिम्मेदार राजनीति
दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने गैर-जिम्मेदार राजनीति की सारी सीमाएं लांघ दी। उन्होंने सीधे-सीधे हरियाणा की बीजेपी सरकार पर यमुना के पानी में जहर डालने और नरसंहार की साजिश का गंभीर आरोप लगा दिया। जब चुनाव आयोग का नोटिस पहुंचा तो उनकी भाषा बदल गई और कहने लगे कि वह तो यमुना के पानी में बढ़े हुए अमोनिया के स्तर की बात कर रहे थे।
अजेय‘ होने का दंभ!
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का एक बड़ा कारण खुद के ‘अजेय होने का दंभ’ भी रहा। इसी दंभ में पार्टी ने गठबंधन के लिए बढ़ाए गए हाथ को झटक दिया। कई बार केजरीवाल कहते हुए नजर आए कि उन्हें दिल्ली में कोई नहीं हर सकता है। लेकिन आज हकीकत ये है कि वो हार गए हैं।