राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स (BRICS)देशों को धमकी दी है। ट्रंप ने कहा कि इगर ब्रिक्स के इन नौ देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का प्रयास किया तो वे उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे…दरअसल ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। ट्रंप ने सीधी धमकी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने डॉलर को रिप्लेस करने की कोशिश की तो उन्हें बुरे परिणाम भुगतने होंगे. ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट में कहा कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं…बता दें कि ब्रिक्स में शामिल सदस्यों का कहना है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अमेरिका के एकाधिकार से वे तंग आ चुके हैं। विकासशील देशों की इच्छा है कि अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता कम हो। इस नई करेंसी की चाहत के कई कारण हैं।
BRICS देश चाहतें हैं डॉलर से छुटकारा
हाल के वक्त में वैश्विक वित्तीय चुनौतियों और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीतियों के कारण ब्रिक्स देशों को एक साझा नई करेंसी की जरूरत है। ब्रिक्स देश चाहते हैं कि वे अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता को कम करें। इसके लिए एक नई साझा करेंसी की शुरूआत की जाए। इससे ब्रिक्स देशों में व्यापार करना आसान होगा। डॉलर की कीमत लगातार बढ़ रही है, ऐसे में ब्रिक्स करेंसी से राहत मिलेगी। बता दें कि दुनिया में अमेरिकी डॉलर का हमेशा से वर्चस्व रहा है। एक आंकड़े के अनुसार, अमेरिका में करीब 96 फीसदी अंतरराष्ट्रीय कारोबार डॉलर में है, वहीं एशिया क्षेत्र में 74 फीसदी कारोबार डॉलर में है और बाकी दुनिया में 79 फीसदी कारोबार अमेरिकी डॉलर में हुआ है। हाल के वर्षों में डॉलर का रिर्जव करेंसी शेयर घट गया है। यूरों और येन की प्रचलन को बढ़ावा मिला है। हालांकि अभी भी डॉलर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली करेंसी है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर ब्रिक्स करेंसी का उपयोग होता है तो इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर होगा।
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