Maa Chandraghanta : मां चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सुंदर, मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी और शांतिदायक है। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
पूजा विधि
- कलश पूजा: सबसे पहले कलश स्थापित करें और सभी देवी-देवताओं, गणेश जी, लक्ष्मी जी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती और जया योगिनी की पूजा करें।
- मां चंद्रघंटा की पूजा:
- मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं।
- उन्हें फूल, माला, कुमकुम, सिंदूर, रोली, अक्षत अर्पित करें।
- दूध, दही, घी, शहद, फल, मिठाई का भोग लगाएं।
- दीपक जलाएं और धूप-दीप दिखाएं।
- मां चंद्रघंटा का मंत्र “ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः” का जाप करें।
- दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- आरती करें।
मां चंद्रघंटा का मंत्र
- ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः
- पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा को भोग
- खीर: नवरात्रि के तीसरे दिन माता को दूध या दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है।
- दूध: माता को दूध का भोग भी लगाया जा सकता है और ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दान में दी जा सकती है।
- शहद: मां चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
मां चंद्रघंटा की कथा
माता चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। शिव जी से विवाह करने के बाद मां ने अपने मस्तक पर अर्धचंद्र सजाना शुरू कर दिया था, इसीलिए मां पार्वती को मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। वो धर्म का प्रतीक हैं। उनका शरीर चमकीला सुनहरा है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं. देवी चंद्रघंटा की पूजा और भक्ति करने से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से
- मन की शांति मिलती है।
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह भी ध्यान रखें
- पूजा करते समय मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
- पूजा विधि का पालन विधिवत रूप से करें।
- सच्चे मन से मां चंद्रघंटा की भक्ति करें।