दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जुबानी जंग बढ़ गई है और एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। इस चुनाव में आरोपों की बौछार हो रही है, जिनमें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल, चुनावी धोखाधड़ी, पुलिस की निष्क्रियता, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे शामिल हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अधिकारियों के ट्रांसफर की मांग की है, जबकि विपक्षी दल भाजपा ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाए हैं कि वे चुनाव हारने के डर से झूठे आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच, कांग्रेस ने भी चुनाव में पैसे बांटे जाने की शिकायत की है।
मुख्यमंत्री आतिशी का पत्र और पुलिस पर आरोप: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बनते हुए आरोप सामने आए हैं कि पुलिस चुनावी प्रक्रिया में किसी पार्टी के पक्ष में काम कर रही है। मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि गोविंदपुरी के एसएचओ धर्मवीर और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा रमेश बिधूड़ी और उनके भतीजों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस बिधूड़ी के खिलाफ दर्ज एक मामले में किसी प्रकार की जांच नहीं कर रही है और कोशिश कर रही है कि यह मामला रफादफा हो जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर दबाव डाला है, ताकि वे झूठे बयान दें और उनके खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें पक्षपाती रूप से कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि कुछ कार्यकर्ताओं से जबरदस्ती गलत बयान पर साइन कराए गए हैं और ऐसे अधिकारियों का तुरंत ट्रांसफर होना चाहिए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ न केवल असंवैधानिक तरीके से छापेमारी की है, बल्कि चुनाव प्रचार को प्रभावित करने की कोशिश की है।
भा.ज.पा. ने आतिशी के आरोपों पर जवाब दिया: इस पूरे मामले पर भाजपा नेता आर.पी. सिंह ने मुख्यमंत्री आतिशी के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी के पास कोई ठोस सबूत हैं, तो उन्हें उन सबूतों को चुनाव आयोग के सामने पेश करना चाहिए। सिंह ने कहा कि बिना तथ्यों के आरोप लगाना किसी भी तरह से उचित नहीं है और यह सिर्फ राजनीति का हिस्सा है। भाजपा नेता का यह भी कहना था कि आम आदमी पार्टी जानती है कि वे चुनाव हारने वाले हैं, इसलिए वे इस प्रकार के निराधार आरोपों का सहारा ले रहे हैं।
आम आदमी पार्टी की ओर से सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके कार्यकर्ताओं के घरों पर रात 10 बजे छापेमारी की और कहा कि यह काम संदिग्ध प्रचारक गतिविधियों की जांच के नाम पर किया गया। संजय सिंह ने सवाल किया कि क्या पुलिस को बिना नोटिस या समन के किसी के घर में घुसने और बिना FIR के छापेमारी करने का अधिकार है? उन्होंने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि चुनाव में पुलिस के इस प्रकार के दखल को रोका जा सके। संजय सिंह ने भाजपा पर भी आरोप लगाया कि चुनावी हार के डर से वे ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग से समय मांगा गया था, लेकिन 3 दिन बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कांग्रेस का आरोप और धन के वितरण की शिकायत: दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भी चुनावी गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने दावा किया कि कई इलाकों में पैसे बांटे जा रहे हैं, ताकि लोग किसी पार्टी का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि जब चुनावी प्रचार के दौरान उम्मीदवारों के पास विकास के मुद्दे पर बात करने के लिए कुछ नहीं होता है, तो वे पैसे और अन्य चीजें बांटना शुरू कर देते हैं। उन्होंने ईस्ट किदवई नगर का उदाहरण दिया, जहां लोगों ने उन्हें बताया कि पैसे और कंबल बांटे जा रहे हैं। दीक्षित ने कहा कि आचार संहिता लागू हो चुकी है, और इसके बावजूद इन चीजों का वितरण हो रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जाए।
संदीप दीक्षित ने यह भी कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही इस तरह के चुनावी हथकंडों में शामिल हैं। उन्होंने काली बाड़ी इलाके का उदाहरण दिया, जहां कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के लोग उन्हें 1000 रुपए बांट रहे हैं। दीक्षित का मानना था कि दोनों प्रमुख पार्टियां चुनावी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, और चुनाव आयोग को इस मामले में ध्यान देना चाहिए।
विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच खींचतान: इस बीच, विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग पर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में विफलता का आरोप लगाया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, और भाजपा सभी एक-दूसरे पर चुनावी धोखाधड़ी और पक्षपाती कार्यवाही करने का आरोप लगा रहे हैं। इन आरोपों से चुनाव आयोग के ऊपर दबाव बढ़ा है और यह देखा जा रहा है कि चुनाव आयोग किस तरह से इन आरोपों पर कार्रवाई करता है और क्या वह निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने में सक्षम होता है।