महाभारत की महत्वपूर्ण पात्र द्रौपदी को क्यों सहना पड़ामहाभारत की महत्वपूर्ण पात्र द्रौपदी

महाभारत की महत्वपूर्ण पात्र द्रौपदी को क्यों सहना पड़ा इतना कष्ट ?

महाभारत तो आप सभी ने देखी होगी और ना केवल देखी होगी बल्कि उसके बारें में अपनी अलग अलग राय भी कहीं ना कहीं अवश्य ही बना ली होगी। कुछ लोगों को एक ओर जहां कर्ण का दर्द दिखा होगा तो वही कुछ लोगों को अभिमन्यु जैसे योद्धा पर गर्व महसूस हुआ होगा। वहीं, भीष्म की इच्छा शक्ति तो भीम का साहस, अर्जुन का अचुक निशाना और श्रीकृष्ण की चतुराई। ना जाने कितनी ही चीजें महाभारत में ऐसी देखने को मिली होगी जो आपके अंतर्मन को छूने का काम कर गई होगी। और आज जो हम बात करने वाले है वो है महाभारत के एक ऐसे पात्र की, जिसके एक वचन पर पूरी महाभारत की पटकथा रची गई।

जिनका नाम है द्रौपदी। द्रौपदी महाभारत की एक ऐसी पात्र है जो समाज में लड़कियों के लिए कई मायनों में आदर्श साबित हुई है। लेकिन क्या आप द्रौपदी के बारे में सब कुछ जानते है। शायद नहीं जानते होंगे और शायद नहीं बिल्कुल भी नहीं जानते होंगे। आपको सिर्फ इतना पता होगा कि द्रौपदी के 5 पति थे और वो थे पांचों पांडव।

लेकिन आप ये बिल्कुल नहीं जानते होंगे कि द्रौपदी आखिर थी कौन? ऐसे क्या कर्म द्रौपदी ने किए थे जिसके कारण उसे इस युग में इतनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। और तो और क्यों द्रौपदी पांडवों के साथ स्वर्ग नहीं पहुंच पाई? क्यों रास्ते में ही द्रौपदी की मौत हो गई? और भी बहुत सी ऐसी चीजें है जो द्रौपदी को लेकर काफी रहस्यमयी बनी हुई है

पर आप चिंता मत कीजिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको इन सारे सवालों का जवाब देने वाले है। तो आइए जानते है द्रौपदी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य। सबसे पहले हम जानेंगे कि आखिर द्रौपदी पिछले जन्म में थी कौन?

पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी?

महाभारत के अनुसार, पूर्व जन्म में द्रौपदी एक ब्राह्मण कन्या थी। सुंदर और सर्वगुण होने पर भी जब उनका विवाह हुआ तो उन्होंने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की।

तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा तो ब्राह्मण कन्या ने कहा कि ‘मुझे भरतवंशी पति चाहिए’। ऐसा उन्होंने 5 बार कहा। भगवान शिव ने उन्हें ये वरदान दे दिया। पांडव भरतवंश में ही पैदा हुए थे, इसलिए ये पांचों ही द्रौपदी के पति बने

कैसे हुआ द्रौपदी का जन्म?

 

पांचाल देश के राजा द्रुपद गुरु द्रोणाचार्य से बदला लेना चाहते थे। द्रोणाचार्य का वध करने वाले पुत्र की इच्छा से उन्होंने एक विशेष यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ से पहले पराक्रमी धृष्टद्युम्न उत्पन्न हुए और बाद में द्रौपदी। यज्ञ कुंड से प्रकट होने के कारण ही द्रौपदी का एक नाम यज्ञसेनी भी प्रसिद्ध है। अब बात करते है कि आखिर द्रौपदी की मृत्यु कैसे हुई।

कैसे हुई द्रौपदी की मृत्यु?

 

भगवान श्रीकृष्ण के देह त्यागने के बाद पांडवों ने सशरीर स्वर्ग जाने का निर्णय लिया। इसके पहले उन्होंने परीक्षित को हस्तिनापुर का राजा बनाया और द्रौपदी को लेकर स्वर्ग के मार्ग पर चल पड़े। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए। हिमालय लांघ कर पांडव आगे बढ़े, तो उन्हें सुमेरु पर्वत दिखाई दिया। जब वे सभी उस पर्वत पर चढ़ रहे थे तभी द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ी और उनकी मृत्यु हो गई।
अब यहां एक ये बात निकलकर सामने आती है कि कर्म का फल तो सबको भोगना होता है। तो द्रौपदी ने ऐसे कौन से कर्म किए जिसका फल उन्हें भुगतना पड़ा।

क्या गलती की थी द्रौपदी ने?

द्रौपदी को मृत अवस्था में देख भीम ने युधिष्ठिर से कहा कि, द्रौपदी ने कभी कोई पाप नहीं किया, तो फिर क्या कारण है कि वह सशरीर स्वर्ग नहीं जा पाई। युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि, द्रौपदी हम सभी भाइयों में से अर्जुन को अधिक प्रेम करती थीं। इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ है। ऐसा कहकर युधिष्ठिर द्रौपदी को देखे बिना ही आगे बढ़ गए।
तो ये थे द्रौपदी से जुड़े कुछ रहस्यमयी किस्से जिन्हें अब आप भी भली भांति जान चुके है।