Manipur : पिछले साल मणिपुर में हुईं हिंसक झड़पों के बाद अपने राज्य को छोड़ने के लिए मजबूर हुए लोगों ने आगामी लोकसभा चुनावों में मतदान करने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि, इन लोगों के लिए कोई मतदान प्रावधान नहीं है, क्योंकि वे राज्य के बाहर रह रहे हैं।
संघर्ष प्रभावित मणिपुर के राहत शिविरों में रहने वाले विस्थापित लोग 19 अप्रैल से शुरू होने वाले चुनावों में वोट कर सकेंगे, लेकिन जो लोग राज्य के बाहर हैं उनके लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इन लोगों का कहना है कि वे घर नहीं लौट पा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि माहौल अभी भी सुरक्षित नहीं है।
अधिकारियों का कहना है कि उन्हें वोट दिलाना संभव नहीं है। 2019 के चुनावों में मणिपुर में बहुत अधिक मतदान हुआ था और 82 प्रतिशत से अधिक वोटिंग दर्ज की गई थी। हालांकि इस बार जातीय हिंसा के चलते विस्थापित लोगों से वोटिंग प्रतिशत पर असर पड़ने की संभावना है।
कुकी-जो और मैतेई दोनों समूहों के नेताओं ने चुनाव आयोग के सामने यह मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि अगर कोई अन्य व्यवस्था नहीं हो सकती है तो राज्य के बाहर रह रहे लोगों को पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
विस्थापित लोगों का कहना है कि उन्हें अपने ही राज्य में बाहरी लोगों जैसा महसूस कराया जा रहा है। वे चाहते हैं कि उन्हें वोट देने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपने राज्य के भविष्य का फैसला कर सकें। मणिपुर में 3 मई 2023 को ‘आदिवासी एकता मार्च’ के दौरान हिंसक झड़प हुई थी।
इस झड़प के बाद कई लोगों को अपने घरों को छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
यह मामला चुनाव आयोग के सामने है और आयोग इस मामले पर विचार कर रहा है। यह उम्मीद की जा रही है कि आयोग विस्थापित लोगों को वोट देने की अनुमति देने के लिए कोई व्यवस्था करेगा।