अयोध्या ने तोड़े सबके रिकार्ड
अयोध्या दुनिया की धार्मिक राजधानी बन चुकी है. राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से 10 मार्च तक यहां 1 करोड़ लोग पहुंचे. यानी औसतन 2 लाख लोग यहां रोज दर्शन कर रहे हैं. दुनिया में इतनी बड़ी संख्या में लोग किसी भी धर्म के धर्मस्थल पर नहीं पहुंच रहे। ईसाइयों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल वेटिकन सिटी में सालभर में करीब 90 लाख लोग आते हैं. जबकि मुस्लिमों के पवित्र स्थल मक्का में पिछले साल 1 करोड़ 35 लाख लोग पहुंचे हैं. मतलब कि, इतनी बड़ी संख्या किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल पर नहीं पहुंची. आपको बता दें कि न सिर्फ अयोध्या बल्कि काशी-मथुरा और प्रयागराज में हर साल करीब 25 करोड़ लोग आ रहे हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार व चारधाम यात्रा में करीब 5 करोड़ लोग पहुंचते हैं. मतलब ये दो राज्य इस वक्त दुनियाभर के हिन्दुओं की आस्था का केंद्र बन गए हैं. अयोध्या अब धार्मिक राजधानी। धार्मिक पर्यटन बढ़ने से फायदा यह हुआ कि अकेले अयोध्या का व्यापार 1 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना हो गई.
चलिए, अब दुनियां के इन तीन सबसे बड़े धार्मिक स्थल के बारे में थोड़ी सी बैक स्टोरी जान लेते हैं-
*इस्लाम –
चलिए पहले आंकड़े देख लेते हैं-
दुनियां में इस्लाम को मानने वालों की आबादी 191 करोड़ है.
दुनियां में 57 मुसलिम देश हैं और 100 से अधिक देशों में मुस्लिम आबादी है.
वहीं मक्का का क्षेत्रफल तकरीबन 1200 वर्ग किलोमीटर है.
मक्का की आबादी 15.8 लाख है.
पूरे साल में मक्का में लगभग 1 करोड़ 35 लाख लोग जाते हैं
सऊदी अरब में बना मक्का शहर का इतिहास
इसलामी मान्याता के अनुसार,लगभग चार हज़ार साल पहले मक्का का मैदान पूरी तरह से निर्जन था. मुसलमानों का ऐसा मानना है कि अल्लाह ने पैग़ंबर अब्राहम को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी हाजरा और बेटे इस्माइल को फ़लस्तीन से अरब ले आएं. मुसलमानों का ये भी मानना है कि अल्लाह ने पैग़ंबर अब्राहम से उन्हें अपनी क़िस्मत पर छोड़ देने के लिए कहा.
कहा जाता है कि उन्हें खाने की कुछ चीज़ें और थोड़ा पानी दिया गया था. कुछ दिनों में ही ये सामान ख़त्म हो गया. हाजरा और इस्माइल भूख और प्यास से बेहाल हो गए. भूख और थकान से टूट चुकी हाजरा गिर गईं और उन्होंने संकट से मुक्ति के लिए अल्लाह से गुहार लगाई. कहा जाता है कि इस्माइल ने ज़मीन पर पैर पटका तो धरती के भीतर से पानी का एक सोता फूट पड़ा और पानी निकलने लगा जिसे पीकर दोनों की जान बच गई. हाजरा ने पानी को सुरक्षित किया और खाने के सामान के बदले पानी का व्यापार भी शुरू कर दिया. इसी पानी को आब-ए-ज़मज़म यानी ज़मज़म कुआं का पानी कहा जाता है. मुसलमान इसे सबसे पवित्र पानी मानते हैं और हज के बाद सारे हाजी कोशिश करते हैं कि वो इस पवित्र पानी को लेकर अपने घर लौटें. जब पैग़ंबर अब्राहम फ़लस्तीन से लौटे तो उन्होंने देखा कि उनका परिवार एक अच्छा जीवन जी रहा है और वो पूरी तरह से हैरान रह गए. मुसलमान मानते हैं कि इसी दौरान पैगंबर अब्राहम को अल्लाह ने एक तीर्थस्थान बनाकर समर्पित करने को कहा. अब्राहम और इस्माइल ने पत्थर का एक छोटा-सा घनाकार इमारत निर्माण किया. इसी को काबा कहा जाता है. अल्लाह के प्रति अपने भरोसे को मज़बूत करने को हर साल यहां मुसलमान आते हैं. सदियों बाद मक्का एक फलता-फूलता शहर बन गया और इसकी एकमात्र वजह पानी के मुकम्मल स्रोत का मिलना था.
सनातन (हिन्दू)-
दुनियां में हिन्दू धर्म को मानने वालों की आबादी 116 करोड़ है.
दुनियां में 53 देशों में हिन्दू आबादी हैं, हांलाकि भारत, नेपाल और मॉरिसस में हिन्दुओं की आबादी अधिक है.
वहीं आयोध्या का क्षेत्रफल तकरीबन 2,522 वर्ग किलोमीटर है.
आयोध्या का राम मंदिर
आइये अब आपको इतिहास में लेकर चलते हैं. किस्सा 1526 से शुरू होता है. ये वो साल था जब मुगल शासक बाबर भारत आया. दो साल बाद बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई. यह मस्जिद उसी जगह बनी जहां भगवान राम का जन्म हुआ था.
बाबर के सम्मान में मीर बाकी ने इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद दिया. ये वो दौर था जब मुगल शासन पूरे देश में फैल रहा था. मुगलों और नवाबों के शासन के दौरान 1528 से 1853 तक इस मामले में हिंदू बहुत मुखर नहीं हो पाए. 19वीं सदी में मुगलों और नवाबों का शासन कमजोर पड़ने लगा. अंग्रेज हुकूमत प्रभावी हो चुकी थी. इस दौर में ही हिंदुओं ने यह मामला उठाया और कहा कि भगवान राम के जन्मस्थान मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना ली गई. इसके बाद से रामलला के जन्मस्थल को वापस पाने की लड़ाई शुरू हुई. आंकड़े बताते हैं कि मस्जिद बनने के 330 साल बाद यानि कि 1858 से हक की जंग शुरु हुई, और 134 साल तक कानूनी लड़ाई चलने के बाद 2024 यानि कि लगभग 500 साल बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ.
ईसाई –
दुनियां में ईसाई धर्म को मानने वालों की आबादी 240 करोड़ है.
दुनियां में 15 ईसाई देश हैं, और 100 से अधिक देशों में ईसाई आबादी है.
वहीं वेटिकन सिटी का क्षेत्रफल तकरीबन 44 हेक्टेयर है.
साल 2019 के मुताबिक वेटिकन सिटी की आबादी 825 है.
पूरे साल में वेटिकन सिटी में 90 लाख लोग जाते हैं
ईसाईओं का प्रसिध्द धार्मिक स्थल वेटिकन सिटी
लोगों का ये मानना है कि यरूशलेम में प्रारंभिक ईसाई धर्म और पेंटेकोस्ट की शुरुआत के बाद, पीटर इसके पहले पोप बनने के लिए रोम गए थे. इसके अतिरिक्त, कई ईसाइयों का मानना है कि पॉल को मार डाला गया और रोम में वेटिकन हिल पर दफनाया गया.
कहा जाता है कि इस प्रकार, मध्य युग की शुरुआत में, रोम एक प्रमुख ईसाई तीर्थस्थल बन गया, विशेष रूप से वेटिकन सिटी, रोमन कैथोलिक चर्च के आध्यात्मिक प्रमुख पोप के घर के रूप में. बुधवार को सेंट पीटर स्क्वायर में पोप को सार्वजनिक रूप से बोलते हुए सुनने और वहां एक जनसमूह में भाग लेने के लिए कई लोग वेटिकन जाते हैं. तीर्थयात्री अक्सर सेंट पीटर की 13वीं शताब्दी की मूर्ति को रगड़ने के लिए सेंट पीटर बेसिलिका भी जाते हैं और बेसिलिका के नीचे, जिसे वे पीटर की कब्र मानते हैं, वहां भी जाते हैं. कहा जाता है कि इस स्थान पर तीर्थयात्रा करने से तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से कैथोलिकों को अपने आध्यात्मिक नेता और पहले ईसाई समुदाय के करीब महसूस करने की अनुमति मिलती है.
(Story By- Jyoti Singh)