Maa Shailputri : चैत्र नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।
पहला दिन: मां शैलपुत्री
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है, जो भगवान शिव की पत्नी हैं। मां शैलपुत्री को ‘पार्वती’, ‘हैमवती’ और ‘गिरिजा’ के नाम से भी जाना जाता है।
हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं।
मां शैलपुत्री की कहानी
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, भगवान शंकर को नहीं। सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा।
वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दयालु और कृपालु है। मां के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है। मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। मां की सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार और दुखों को दूर करती हैं।
पहले दिन का महत्व
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा और व्रत करने का विधान है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कलश स्थापना
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का भी विशेष महत्व है। इस दिन घर में कलश स्थापित किया जाता है और मां दुर्गा की नौ दिवसीय पूजा आरंभ होती है।
मां शैलपुत्री की स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां शैलपुत्री की कृपा से आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास हो।