हरियाणा में नशे का कहर अब एक ऐसी महामारी का रूप ले चुका है, जो राज्य के युवाओं को जीवन के सबसे सुनहरे दौर में ही मौत के मुंह में धकेल रहा है। शहर से लेकर गांव तक, सड़क से लेकर रेल तक, नशे का जहर हरियाणा के कोने-कोने में फैल चुका है। नशा माफिया और तस्करों ने राज्य की नसों में इतना गहरा ज़हर घोला है कि युवा वर्ग, जो कभी खेतों और खेलों में अपनी पहचान बनाता था, अब नशे के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठ रहा है। नशे के कारण हरियाणा की धरती अब मौत के मैदान में बदल चुकी है, जहां परिवारों के परिवार उजड़ रहे हैं, और युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
नशे का फैलाव: शहर से गांव तक
हरियाणा, जो कभी अपने मजबूत खेतिहर कार्यबल और पहलवानों के लिए जाना जाता था, अब नशे के कारण अपनी पहचान खोता जा रहा है। आजकल राज्य के अधिकांश युवा वर्ग नशे की लत में इस कदर उलझ चुका है कि उन्हें अपने जीवन के अन्य पहलुओं से कोई वास्ता नहीं है। शराब, हेरोइन, चिट्टा, स्मैक और अन्य मादक पदार्थों का सेवन इतना बढ़ चुका है कि अब यह समस्या शहरों से लेकर गांवों तक फैल चुकी है। पहले जहां बड़े शहरों जैसे गुड़गांव, फरीदाबाद, पंचकुला आदि में नशे की समस्या गंभीर थी, वहीं अब यह छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में भी पहुंच चुकी है।
नशे की चपेट में आने वाले युवा वर्ग की बढ़ती संख्या
हरियाणा के युवा, जो अपनी मेहनत और संघर्ष के लिए पहचाने जाते थे, अब नशे के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। राज्य के कई हिस्सों से यह खबरें आ रही हैं कि 30 से 35 साल के युवा नशे के कारण अपनी जान गवां चुके हैं। इस समस्या ने एक पूरी पीढ़ी को अपनी चपेट में ले लिया है। खेतों में काम करने वाले, खेलों में भाग लेने वाले, और पहलवानी की मशहूर पहचान रखने वाले युवाओं का जीवन अब नशे के जहर के कारण बर्बाद हो चुका है।
नशे की बढ़ती लत के कारण राज्य के गांवों में भी परिवारों की स्थिति दयनीय हो गई है। माता-पिता अपने बच्चों की जिंदगी को नशे की लत से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नशे के माफियाओं और तस्करों की बढ़ती ताकत के सामने उनकी कोशिशें अधूरी साबित हो रही हैं।
नशा माफिया और तस्करों का प्रभाव
हरियाणा में नशा माफिया और तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि राज्य के किसी भी कोने में नशे की खेप आसानी से पहुंचाई जा सकती है। यह तस्कर और माफिया, राज्य के युवा वर्ग को अपनी जाल में फंसाकर उन्हें नशे का आदी बना रहे हैं। इन माफियाओं के पास न केवल इन मादक पदार्थों की आपूर्ति है, बल्कि वे इनकी बिक्री के लिए एक मजबूत नेटवर्क भी चलाते हैं। गांवों में युवाओं को नशे की लत लगाने के बाद माफिया उन्हें किसी बड़े शहरों में भी आसानी से बेच देते हैं।
इस समस्या का एक और पहलू यह है कि नशा तस्करी की घटनाओं को लेकर राज्य में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। नशे के तस्कर अपनी आपूर्ति की लाइन को इतने अच्छे से चलाते हैं कि प्रशासन की नाक के नीचे यह व्यापार बखूबी चलता रहता है।
राज्य सरकार की नाकामी और लाचार नीति
यह नशे की महामारी राज्य में इतने बड़े पैमाने पर फैली हुई है, लेकिन राज्य सरकार की नाकामी इस मुद्दे को गंभीरता से न लेने में ही नजर आती है। भाजपा सरकार ने हरियाणा में नशे की इस महामारी पर काबू पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों की ओर से इस समस्या को हल करने के लिए कभी कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई।
राज्य सरकार की नीतियां और प्रशासन की कार्यशैली न केवल नशे की समस्या पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है, बल्कि नशा माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में भी चूक गई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि नशे के माफिया और तस्कर अपनी गतिविधियों को बिना किसी डर के जारी रखे हुए हैं।
युवाओं की मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और प्रशासन केवल हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। सरकार की इस लापरवाही के कारण राज्य की तस्वीर बदल चुकी है। इस समस्या पर राजनीति करने की बजाय सरकार को इसे तुरंत प्रभाव से खत्म करने की दिशा में कड़े कदम उठाने चाहिए थे।
नशे के कारण पारिवारिक त्रासदी
नशे के कारण केवल युवा ही नहीं, बल्कि उनके परिवार भी त्रस्त हैं। जिन घरों में कभी खुशियां होती थीं, आज वहां मातम पसरा हुआ है। कई परिवारों के सदस्य अपने बच्चों की नशे की लत के कारण परेशान हैं। माता-पिता अपनी पूरी कमाई नशे के लिए खर्च होते हुए देख रहे हैं, और उनके सामने कोई रास्ता नहीं बचा है। कई मामलों में तो यह भी देखा गया है कि नशे की लत के कारण युवा अपराध की दुनिया में भी कदम रख चुके हैं।
नशे के कारण कई परिवार टूट चुके हैं, और कई परिवारों में दरारें आ चुकी हैं। बेटे या बेटी के नशे की लत के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। कई बार यह समस्या इतनी बढ़ जाती है कि परिवारों में तनाव और हिंसा भी होती है।
समाज में बढ़ती चिंता और समाधान की जरूरत
हरियाणा में नशे का बढ़ता हुआ प्रकोप अब समाज के लिए चिंता का विषय बन चुका है। यदि इस पर काबू नहीं पाया गया तो यह समस्या राज्य के सामाजिक ढांचे को और भी नुकसान पहुंचाएगी। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार को तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके लिए नशे के माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, नशे की रोकथाम के लिए जन जागरूकता अभियान और युवाओं के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
राज्य में नशे की रोकथाम के लिए नागरिक समाज को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में नशे के दुष्परिणामों पर चर्चा करनी चाहिए, ताकि युवा वर्ग को इसके खतरों के बारे में सही समय पर जानकारी मिल सके।