ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और क्रिकेट पंडितों का विराट कोहली पर हमला, विशेष रूप से सैम कोंस्टास वाले मामले के बाद, यह दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेटर के खिलाफ उनके विचार कितने कटु और नकारात्मक हो सकते हैं। यह घटनाएं और प्रतिक्रिया ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट जगत के भीतर विराट कोहली के प्रति गहरी असहिष्णुता और अस्वीकृति की भावना को प्रदर्शित करती हैं। मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान सैम कोंस्टास से विराट कोहली का विवाद हुआ था, जो कि बाद में एक मीडिया युद्ध में बदल गया। इस विवाद को लेकर ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व क्रिकेटर्स ने कोहली को निशाना बनाते हुए कई कठोर बयान दिए।
सैम कोंस्टास का विवाद और मीडिया की प्रतिक्रिया
मेलबर्न टेस्ट के दौरान सैम कोंस्टास और विराट कोहली के बीच गहमागहमी हुई थी, हालांकि कोंस्टास ने इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इसे अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया। कोंस्टास ने कोहली को ‘क्लोन’ यानी जोकर जैसे शब्दों से संबोधित किया था, जो ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की आलोचना का एक नया मोर्चा बना। इसके बाद, यह विवाद इस हद तक फैल गया कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ, निक हॉकले और पूर्व क्रिकेटर्स जैसे रिकी पोंटिंग और कैरी ओ’कीफ ने भी कोहली के खिलाफ आलोचनात्मक बयान दिए।
रिकी पोंटिंग और कैरी ओ’कीफ का दृष्टिकोण
रिकी पोंटिंग, जिन्होंने पहले भी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के मामले में अपने विचार खुले तौर पर व्यक्त किए हैं, ने कोंस्टास के मामले में विराट कोहली को दोषी ठहराया। उनका कहना था कि कोहली को इस स्थिति में संयम दिखाना चाहिए था। वहीं, कैरी ओ’कीफ ने भी कोहली के खिलाफ कठोर बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कोहली ने अपना करियर अहंकार के बलबूते पर बनाया है और अब जब उन्हें देखा कि एक डेब्यू खिलाड़ी भी उनके जैसे बर्ताव कर रहा है, तो यह उन्हें अच्छा नहीं लगा। ओ’कीफ ने यह भी कहा कि कोहली अब मुश्किल में हैं, जो कि भारतीय क्रिकेटर की स्थिति को और विवादास्पद बनाता है।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का दोहरा चरित्र
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने हमेशा अपने खिलाड़ियों द्वारा की गई बदतमीजी पर चुप्पी साधी है और कभी भी उन्हें आलोचना का निशाना नहीं बनाया। लेकिन जब विराट कोहली से संबंधित कोई घटना होती है, तो मीडिया उसकी गंभीरता को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है। इस तरह का व्यवहार ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के दोहरे चरित्र को सामने लाता है। सैम कोंस्टास वाले विवाद के बाद, विभिन्न मीडिया संस्थानों ने कोहली को आक्रामक तरीके से निशाना बनाते हुए कई आर्टिकल लिखे, जिनमें से एक में तो कोहली को ‘क्लोन’ यानी जोकर करार दिया गया था। वहीं, ‘द डेली टेलीग्राफ’ और ‘कोड स्पोर्ट्स’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया ने भी कोहली के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियां कीं।
विराट कोहली के खिलाफ सजा और मीडिया की आलोचना
कोंस्टास के मामले के बाद, विराट कोहली को मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना और एक डिमेरिट अंक दिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इस सजा को भी कठोरता से आलोचना की और कहा कि कोहली को अधिक सजा मिलनी चाहिए थी। ‘सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ ने लिखा कि विराट कोहली को सैंडपेपर-गेट स्कैंडल के बाद राहत मिली और यही वजह थी कि उन्हें इस मामले में निलंबन से बचने का अवसर मिला। इस लेख में यह भी बताया गया कि 2018 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के गेंद से छेड़छाड़ मामले के बाद, आईसीसी ने आचार संहिता में बदलाव किए थे, जिससे कोहली को इस विवाद में सजा कम मिली।
आईसीसी का रुख और मीडिया का दबाव
आईसीसी ने कोहली के खिलाफ लगे आरोपों को स्वीकार किया और उन्हें जुर्माना लगाया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का कहना था कि कोहली को विशेष उपचार दिया गया। यह न केवल क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों के रुख के कारण था, बल्कि मीडिया द्वारा इस मुद्दे को बढ़ावा दिए जाने के कारण भी था। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सीईओ निक हॉकले ने यह भी कहा कि मैदान पर शारीरिक टकराव को बिल्कुल भी सहन नहीं किया जा सकता, और विराट ने इस मामले में जिम्मेदारी ली। हालांकि, मीडिया की नज़रों में कोहली पर जो भी आरोप थे, वे इस मामले को लेकर लगातार दबाव बनाए रहे थे।
विराट कोहली के प्रति ऑस्ट्रेलियाई भय
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और क्रिकेट पंडितों का कोहली के खिलाफ यह रुख, उनके डर और चिंता को भी व्यक्त करता है। जब भी भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाती है, तो वहां के मीडिया में किसी न किसी तरह का विवाद पैदा करना आम बात हो जाती है। कोहली जैसी महान और अनुभवी खिलाड़ी को निशाना बनाने का मतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट जगत को उनसे कितना डर लगता है। कोहली की बैटिंग और उनकी कप्तानी ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को कई बार चुनौती दी है, और यह वही कारण है, जो इस तरह की आलोचनाओं को जन्म देता है। कोहली का सामना करते हुए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को अपनी असुरक्षा का अहसास हो रहा है, और यही कारण है कि वे हर छोटी-सी घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं।