हाल ही में तेलंगाना की राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री के बीच विवाद एक नया मोड़ लेने लगा है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि तेलंगाना सरकार टॉलीवुड, यानी तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री को निशाना बना रही है। मालवीय के आरोपों के मुताबिक, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और उनकी सरकार तेलुगु फिल्म स्टार्स और फिल्म निर्माताओं से पैसे की वसूली करने की कोशिश कर रहे हैं, और इस प्रक्रिया में टॉलीवुड की कई प्रमुख हस्तियों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
हैदराबाद में घटना की पृष्ठभूमि
इस विवाद की शुरुआत हैदराबाद में फिल्म स्टार नागार्जुन के कन्वेंशन सेंटर को ध्वस्त किए जाने से हुई। हाल ही में यह घटना सुर्खियों में आई थी, जब सरकारी अधिकारियों ने कथित अवैध निर्माण के आरोप में नागार्जुन के कन्वेंशन सेंटर को बुलडोजर से ढहा दिया। यह कार्रवाई तेलंगाना सरकार की तरफ से की गई थी, जिससे फिल्म इंडस्ट्री के कई लोग नाराज हो गए। इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह टॉलीवुड पर दबाव बनाने की एक रणनीति है, जिसे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने लागू किया है।
मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और उनकी सरकार ने तेलंगाना की फिल्म इंडस्ट्री पर इस तरह के दबाव डालने के बाद टॉलीवुड के स्टार्स और फिल्म निर्माताओं को मुख्यमंत्री से मिलने और उनसे मिलने की कोशिशें की थीं, ताकि उन्हें पैसे की वसूली की जा सके।
समांथा प्रभु और मोहन बाबू के बेटे का मुद्दा
इसके अलावा, मालवीय ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से टॉलीवुड के स्टार्स और उनके परिवारों पर व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने एक मौजूदा महिला कैबिनेट मंत्री का उल्लेख किया, जिन्होंने अभिनेत्री समांथा प्रभु पर व्यक्तिगत हमले किए थे। समांथा प्रभु, जो कि फिल्म इंडस्ट्री की एक प्रमुख अभिनेत्री हैं, को राजनीतिक हिसाब चुकता करने के लिए निशाना बनाया गया, जिसके पीछे एक और विवाद जुड़ा हुआ था।
इससे पहले, मोहन बाबू के बेटे का भी राजनीतिक हिसाब चुकता करने के आरोपों से नाम जुड़ा था। मालवीय के मुताबिक, यह सब सरकार की रणनीति का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य टॉलीवुड के बड़े नामों पर दबाव डालना था।
अल्लू अर्जुन का मामला
इसके बाद, भाजपा नेता अमित मालवीय ने अभिनेता अल्लू अर्जुन के खिलाफ हुई कार्रवाई का भी जिक्र किया। अल्लू अर्जुन, जो कि टॉलीवुड के सबसे बड़े स्टार्स में से एक हैं, हाल ही में एक हादसे में फंसे थे, जब उनकी फिल्म ‘पुष्पा-2’ के प्रीमियर के दौरान हैदराबाद में भगदड़ मच गई थी। इस भगदड़ में एक महिला की मौत हो गई थी, और महिला का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस मामले में पुलिस ने अल्लू अर्जुन से पूछताछ भी की थी, और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
मालवीय का कहना था कि इस प्रकार की घटनाओं का इस्तेमाल टॉलीवुड के बड़े सितारों को दबाने के लिए किया जा रहा है। उनका कहना था कि यह घटनाएं एक पैटर्न का हिस्सा हैं, जिसमें मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने टॉलीवुड की हस्तियों को निशाना बनाकर अपनी सत्ता को मजबूत करने का प्रयास किया है।
राजनीतिक रंग ले चुका विवाद
मालवीय के आरोपों ने इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रेवंत रेड्डी सरकार ने अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए टॉलीवुड को निशाना बनाया है और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों से जबरन वसूली की कोशिश की है। भाजपा नेता ने कहा कि यह घटनाएं उस पैटर्न को दर्शाती हैं, जिसमें सत्ता और पैसे के लालच में जनता की आजीविका और प्रतिष्ठा को निशाना बनाया जा रहा है।
तेलंगाना की वर्तमान सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए, मालवीय ने कहा कि रेवंत रेड्डी की सरकार बहुत अलोकप्रिय हो चुकी है, और अब राज्य में भाजपा एक संभावित विकल्प के रूप में उभर रही है।
टॉलीवुड के खिलाफ बढ़ते आरोप
इन घटनाओं से यह साफ हो गया है कि टॉलीवुड में इस समय एक अनिश्चित स्थिति उत्पन्न हो गई है। फिल्म स्टार्स और निर्माताओं के बीच बढ़ती नाराजगी और आरोपों की झड़ी ने राज्य की राजनीति को भी प्रभावित किया है। टॉलीवुड के कई नामी अभिनेता और निर्माता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि कई लोग इन घटनाओं को सिर्फ एक राजनीतिक खेल मानते हुए चुप हैं।
क्या है टॉलीवुड का भविष्य?
अगर रेवंत रेड्डी सरकार के खिलाफ भाजपा के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल तेलंगाना की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है, बल्कि टॉलीवुड के भविष्य पर भी असर डाल सकता है। फिल्म इंडस्ट्री में हो रही यह उठा-पटक निश्चित रूप से राज्य की राजनीति और सत्ता संघर्ष के नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है।
अब देखना यह है कि आने वाले समय में इस विवाद में और क्या मोड़ आता है। क्या टॉलीवुड की बड़ी हस्तियां इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुट हो पाती हैं, या फिर यह मामला किसी अन्य राजनीतिक मोड़ पर खत्म होगा?