लालू प्रसाद

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर देशभर में विवाद गहरा गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और शाह के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अमित शाह को कैबिनेट से बाहर कर देना चाहिए और उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए। लालू की यह टिप्पणी खास तौर पर शाह के उस भाषण के संदर्भ में आई है, जिसमें उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में कुछ विवादित बातें कही थीं।

लालू प्रसाद ने अपने बयान में अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा, “अमित शाह पागल हो गए हैं और वे हमारे पूज्य बाबा साहब के प्रति नफरत से भरे हुए हैं। मैं उनकी कड़ी निंदा करता हूं।” उनका कहना था कि शाह का यह बयान एक ऐसे नेता द्वारा दिया गया है, जो भारतीय संविधान के निर्माता और समाज सुधारक बाबासाहेब अंबेडकर के योगदान को समझने में पूरी तरह असफल है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया

यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर आयोजित चर्चा का जवाब देते हुए अंबेडकर का अपमान करने वाली टिप्पणियां की थीं। शाह ने विपक्ष के आरोपों के बाद अपनी सफाई दी, लेकिन इसके बावजूद उनका बयान राजनीतिक जगत में बवाल पैदा कर गया।

शाह ने कहा, “अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” शाह के इस बयान के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस टिप्पणी को बाबा साहब अंबेडकर का अपमान करार दिया और उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की। कांग्रेस ने इस बयान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे भारतीय संविधान के प्रति एक गंभीर disrespect बताया।

कांग्रेस नेता इस पूरे मामले में गुस्से में थे और उन्होंने कहा कि यह बयान भारतीय संविधान और अंबेडकर के योगदान के खिलाफ था। कांग्रेस ने शाह के बयान को विवादित बताते हुए इसे राजनीतिक रूप से गलत और संवेदनशील बयान करार दिया। इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए।

 लालू प्रसाद

लालू प्रसाद की टिप्पणी और उनकी प्रतिक्रिया

लालू प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “शाह को कैबिनेट से बाहर किया जाना चाहिए। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। यही नहीं, उन्हें राजनीति भी छोड़ देनी चाहिए।” उनका कहना था कि जिस व्यक्ति को संविधान निर्माता और महान समाज सुधारक बाबासाहेब अंबेडकर के योगदान का सम्मान नहीं है, वह भारत के गृह मंत्री के पद पर बने रहने के लायक नहीं है।

लालू प्रसाद ने आगे कहा कि अमित शाह के बयान से यह साफ हो गया है कि वे अंबेडकर के प्रति नफरत से भरे हुए हैं। उन्होंने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि शाह का यह बयान उन लाखों भारतीयों की भावनाओं को आहत करता है जो बाबासाहेब अंबेडकर को एक पूज्य नेता मानते हैं।

लालू प्रसाद ने शाह के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “अमित शाह पागल हो गए हैं, वे बाबासाहेब का अपमान करने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं।”

अमित शाह की सफाई और विपक्ष का पलटवार

अमित शाह ने अपनी टिप्पणी के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि उन्होंने कभी भी बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान नहीं किया। शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह उनके बयान को गलत तरीके से पेश कर रही है और तथ्य तोड़-मरोड़ कर लोगों को गुमराह कर रही है।

भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने कहा, “मैं उस पार्टी से आता हूं, उस संस्कृति से आता हूं, जो स्वप्न में भी बाबा साहेब के विचारों का या बाबा साहेब का अपमान नहीं कर सकती।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और इसे लेकर जो भी भ्रम फैलाया जा रहा है, वह निंदनीय है।

शाह ने कहा कि वह हमेशा से अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करते आए हैं और वह कभी भी उनके योगदान का अपमान नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर रखने का प्रयास किया है। मैं इसकी निंदा करता हूं।”

इसके अलावा, शाह ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर आगे कानूनी कदम उठाने पर विचार करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले में कानून का सहारा लिया जाएगा। भाजपा ने इस बयान को लेकर बयान जारी किया और कहा कि पार्टी उन सभी संभावनाओं का पता लगाएगी जो संसद के अंदर और बाहर इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए उपलब्ध हैं।

बाबासाहेब अंबेडकर का सम्मान और उनका योगदान

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर भारतीय राजनीति और समाज सुधार के महान नेता थे। वे भारतीय संविधान के निर्माता थे और उनके योगदान को भारत में हमेशा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने दलितों, पिछड़ों और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और समाज में समानता की स्थापना की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

अंबेडकर का मानना था कि समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता स्थापित करने के लिए संविधान सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। उनका योगदान भारतीय समाज और राजनीति के लिए अमूल्य है, और उनका नाम हमेशा आदर और श्रद्धा से लिया जाएगा।

उनकी सोच और उनके योगदान ने न केवल भारतीय समाज को बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि समाज में समानता और न्याय की आवश्यकता है और इसे हासिल करने के लिए हमें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए।

 

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