दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ी भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके जमानत की शर्तों में ढील देने का फैसला किया, जिससे सिसोदिया को अब जांच अधिकारियों के सामने नियमित रूप से पेश होने की बाध्यता से राहत मिल गई है।
मनीष सिसोदिया को 2023 की शुरुआत में दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार किया गया था, और उनकी गिरफ्तारी के बाद से वे कई कानूनी जटिलताओं से गुजर रहे हैं। पहले सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने 26 फरवरी 2023 को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, फिर बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी उन्हें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद, उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। अब, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी जमानत शर्तों को लचीला बना दिया है, जो उनके लिए राहत का कारण बना है।
मनीष सिसोदिया पर लगे आरोप
मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में अनियमितताओं को अंजाम दिया और इससे संबंधित भ्रष्टाचार में उनका हाथ था। यह नीति दिल्ली सरकार द्वारा शराब की दुकानों के लाइसेंस वितरण को लेकर बनाई गई थी, जिसमें कथित रूप से नियमों का उल्लंघन किया गया था। इस मामले में सिसोदिया सहित कई अन्य सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने गलत तरीके से फायदे उठाए।
आरोपों के मुताबिक, इस नीति के तहत कुछ शराब व्यापारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अनुशासनहीनता की गई। इसके अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी सिसोदिया पर लगाया गया है, जिसमें उन्होंने सार्वजनिक धन का गलत तरीके से उपयोग किया और कथित तौर पर कुछ व्यापारियों से रिश्वत भी ली। इस मामले में सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां सक्रिय रूप से जांच कर रही हैं, और सिसोदिया को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत शर्तों में ढील देने का निर्णय लिया, जिससे अब उन्हें सप्ताह में दो बार जांच अधिकारियों के सामने पेश होने की बाध्यता नहीं होगी। इससे पहले, कोर्ट ने यह शर्त रखी थी कि सिसोदिया को सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 बजे से 11 बजे के बीच जांच अधिकारियों के सामने पेश होना पड़ेगा। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह शर्त जरूरी नहीं है। इस निर्णय के साथ, सिसोदिया को राहत मिली है, हालांकि उन्हें अभी भी अदालत में नियमित रूप से मामले की सुनवाई में शामिल होना होगा।
यह निर्णय 22 नवंबर 2023 को हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट में जमानत की शर्तों में छूट की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस मामले में मनीष सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि सिसोदिया अब तक 60 बार जांच अधिकारियों के सामने पेश हो चुके हैं। सिंघवी ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि सिसोदिया को उन शर्तों से राहत दी जाए, जिनसे उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि सिसोदिया को 17 महीने से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है, इसलिए उन्हें त्वरित सुनवाई का अधिकार मिलना चाहिए।
जमानत की शर्तें और उनकी व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त 2023 को जमानत दी थी, और तब से लेकर अब तक, जमानत की शर्तों में कई संशोधन किए गए हैं। पहले कोर्ट ने शर्त रखी थी कि सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और दो जमानतदारों पर जमानत दी जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने अपना पासपोर्ट जमा किया था और गवाहों को प्रभावित करने से बचने के लिए कोर्ट ने उन्हें सख्त चेतावनी दी थी।
इसके अतिरिक्त, मनीष सिसोदिया को हर सोमवार और गुरुवार को थाने में हाजिरी देने की शर्त थी। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया था कि वह कोई ऐसी गतिविधि नहीं करेंगे जिससे जांच प्रभावित हो सकती हो। इस निर्णय के बाद, सिसोदिया को दिल्ली सचिवालय जाने की इजाजत भी दी गई थी, जो उनकी प्रशासनिक जिम्मेदारियों के तहत था।
मनीष सिसोदिया का बचाव
मनीष सिसोदिया ने हमेशा अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने यह दावा किया है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत फंसाया गया है और उनका कोई भी गलत काम नहीं हुआ है। सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली सरकार ने जो आबकारी नीति बनाई, वह पूरी तरह से पारदर्शी और कानून के तहत थी, और इसमें कोई भी अनियमितता नहीं थी।
सिसोदिया ने यह भी कहा कि उन्हें और उनके साथियों को फंसाने के लिए सीबीआई और ईडी ने राजनीतिक दबाव में काम किया है। इसके बावजूद, उनके खिलाफ चल रही जांच और कानूनी कार्यवाही में उनकी स्थिति मजबूत रही है, और सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत में ढील देने के बाद मनीष सिसोदिया को राहत तो मिली है, लेकिन उनके खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया अभी भी जारी है। अब तक उनके खिलाफ विभिन्न आरोपों की जांच चल रही है और इस मामले में अदालत में मुकदमा चलाने की प्रक्रिया को भी गति दी जाएगी।