नई दिल्ली: राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है। विपक्ष ने इस संदर्भ में नोटिस भी दे दिया है, जिसमें 70 से ज्यादा सांसदों के हस्ताक्षर बताए जा रहे हैं। इस प्रस्ताव को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का रुख स्पष्ट नहीं है। पार्टी ने इस दौरान सदन से वॉकआउट किया, जिससे प्रस्ताव पर चर्चा और भी दिलचस्प हो गई।
टकराव के बाद हुआ निर्णय
सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया। इस दौरान विपक्ष ने निर्णय लिया कि उन्हें धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए। पहले विपक्षी गठबंधन ने अगस्त में प्रस्ताव लाने के लिए हस्ताक्षर जुटाने की कोशिश की थी, लेकिन तब वे आगे नहीं बढ़ पाए थे और एक मौका देने का फैसला किया था। लेकिन सोमवार को धनखड़ के व्यवहार को देखते हुए अब यह प्रस्ताव लाने का कदम उठाया गया है।
विपक्षी दलों का समर्थन और तृणमूल कांग्रेस का रुख
इस अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा) समेत कई विपक्षी दलों ने सहयोग दिया है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस का रुख अभी भी संदेहास्पद बना हुआ है, क्योंकि पार्टी ने वॉकआउट किया और प्रस्ताव के समर्थन में आगे नहीं आई। इस बीच, बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने यह कहा है कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव पर सोच-समझकर निर्णय लेगी और अभी यह स्पष्ट नहीं किया कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या नहीं। बीजद के सात सदस्य राज्यसभा में हैं, और इनकी भूमिका इस प्रस्ताव के पास होने में महत्वपूर्ण हो सकती है।
संसद में हंगामा और टकराव
राज्यसभा में मंगलवार को सरकार और विपक्ष के बीच तीखा हंगामा हुआ। अदाणी समूह और सोरोस से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की मांग की गई, जिसके चलते उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्य कांग्रेस और उसके नेताओं पर आरोप लगा रहे थे कि वे विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, विपक्ष ने अदाणी समूह से जुड़े मुद्दे को उठाते हुए इस पर चर्चा करने की मांग की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की।
आगे का राजनीतिक परिदृश्य
राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव और विपक्षी दलों के बीच उभरती राजनीतिक स्थिति इस बात को साबित करती है कि धनखड़ के खिलाफ विपक्षी एकता अब एक गंभीर मोर्चे पर आ चुकी है। हालांकि, इस प्रस्ताव के पारित होने के लिए विपक्षी दलों को राज्यसभा में पर्याप्त संख्या जुटानी होगी, जिसमें बीजद की भूमिका अहम हो सकती है। अगर बीजद और तृणमूल कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती हैं, तो प्रस्ताव के पास होने की संभावना कम हो सकती है।
सभी की निगाहें अब इस बात पर हैं कि क्या विपक्षी दल धनखड़ के खिलाफ इस कदम को आगे बढ़ा पाएंगे या सत्ता पक्ष इसे विफल कर देगा।