कुरुक्षेत्र, 5 दिसंबर 2024: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 5162 वर्षों से चली आ रही गीता की महिमा को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का भव्य उद्घाटन हुआ। इस महोत्सव में देश-विदेश के लाखों लोग शामिल हो रहे हैं, और हर साल इसकी संख्या में वृद्धि हो रही है। इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक व आध्यात्मिक जागरूकता नहीं, बल्कि गीता के दर्शन को पूरी दुनिया में फैलाना है।
महोत्सव का पहला दिन ब्रह्मसरोवर के पूजन और गीता हवन पूर्णाहुति से शुरू हुआ। इस दौरान मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच पवित्र गीता का महापूजन किया गया। यह पूजा संपूर्ण वातावरण को भक्तिमय और गीतामय बना रही थी। हवन यज्ञ के दौरान श्लोकोच्चारण और शंखनाद से जगह-जगह गीता के संदेश की गूंज सुनाई दे रही थी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, तंजानिया के सांस्कृतिक एवं खेल मंत्री टीएम माविता, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद और पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने गीता यज्ञ में पूर्ण आहुति डाली। पंडित बलराम गौतम, पंडित सोमनाथ शर्मा, गोपाल कृष्ण गौतम, अनिल और रुद्र ने श्लोकों का उच्चारण किया, जबकि इस पूरी पूजा को एक विशेष आध्यात्मिक छटा प्रदान की गई।
अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता: तंजानिया और ओडिशा का योगदान
कार्यक्रम में तंजानिया के सांस्कृतिक पवेलियन का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें वहां के खानपान, रहन-सहन और परिधानों का प्रदर्शनी रूप में प्रदर्शन किया गया। तंजानिया के सांस्कृतिक और खेल मंत्री टीएम माविता ने इस पवेलियन के उद्घाटन के बाद वहां के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस महोत्सव में ओडिशा को सहायक राज्य के रूप में भी सहभागिता प्राप्त है, जो इस आयोजन को और भी समृद्ध बना रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के माध्यम से गीता का संदेश पूरे विश्व में पहुंचेगा। महोत्सव में तंजानिया और ओडिशा के साथ-साथ अन्य देशों और राज्यों के लोग भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की प्रदर्शनी
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड द्वारा पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में सरस्वती नदी चैनल मॉडल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। धुमन सिंह किरमच, बोर्ड के उपाध्यक्ष, ने इस मॉडल के बारे में जानकारी दी, और बताया कि यह परियोजना हरियाणा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री का संदेश: गीता का महत्व और वैश्विक प्रसार
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा कि गीता न केवल दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू में लागू होती है। उनका कहना था कि गीता का संदेश मानवता के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेगा। 5162 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान पर अर्जुन को कर्मयोग का संदेश दिया था, जो आज भी हमारे जीवन को दिशा देने वाला है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गंगा के जल से मुक्ति मिलती है, और वाराणसी की भूमि मोक्ष देती है, परंतु कुरुक्षेत्र का जल, थल और वायु तीनों ही मुक्ति के दाता हैं। यह वह पावन भूमि है, जहां वेद, उपनिषदों और पुराणों की रचना हुई थी और सम्राट हर्षवर्धन की राजधानी थानेसर भी यहीं पर स्थित थी। यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के लिए इस पवित्र भूमि को चुना था।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का वैश्विक प्रसार
महोत्सव का आयोजन न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी किया गया है। वर्ष 2019 से यह महोत्सव मॉरीशस, लंदन, कनाडा, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसे देशों में भी आयोजित किया गया है। इसके माध्यम से गीता की ख्याति और महोत्सव की लोकप्रियता अब पूरी दुनिया में फैल रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि गीता के जीवनदायिनी संदेश को लोगों तक पहुंचाना है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद का योगदान
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने इस महोत्सव के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आमजन का महोत्सव बन चुका है। उन्होंने कहा कि अब इस महोत्सव के साथ पूरे देश और विदेश के लोग जुड़ चुके हैं। स्वामी ज्ञानानंद ने गीता के महत्व को बताते हुए कहा कि यह ग्रंथ न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
इस भव्य महोत्सव में हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, पूर्व विधायक डॉ. पवन सैनी, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील राणा, जय भगवान शर्मा डीडी, सुभाष कलसाना, केडीबी के सीईओ पंकज सेतिया, केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, कुरुक्षेत्र 48 कोस निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। इन सभी ने इस महोत्सव की गरिमा को बढ़ाया और गीता के संदेश को और अधिक व्यापक रूप से फैलाने के लिए अपने योगदान का आदान-प्रदान किया।