महाराष्ट्र में 5 दिसंबर को नई सरकार का शपथग्रहण होना है, लेकिन महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी) के मंत्रिमंडल के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, यह लगभग तय है कि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री पद संभालेंगे, जबकि एकनाथ शिंदे के डिप्टी सीएम बनने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने की चर्चा भी है। अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि तीनों दलों के नेता मंत्रिमंडल के पदों का बंटवारा किस तरह करेंगे।
इस बीच, भाजपा, शिवसेना और राकांपा के बीच मंत्रिमंडल गठन के लिए 6-1 फॉर्मूला अपनाने की चर्चा हो रही है। इस फॉर्मूला के तहत, हर छह विधायकों के लिए एक मंत्री पद मिलेगा। अगर इसे लागू किया जाता है, तो सबसे ज्यादा मंत्री भाजपा के होंगे, क्योंकि उसने चुनाव में 132 सीटें जीती हैं। इसके बाद शिवसेना और राकांपा को भी मंत्री पद मिल सकते हैं। इस फॉर्मूले के आधार पर, भाजपा को 20 से 22 पद मिल सकते हैं, जबकि शिवसेना को 12 मंत्री पद और राकांपा को 9-10 मंत्री पद मिलेंगे। अगर ऐसा होता है, तो मंत्रिमंडल के गठन में केवल विभागों को लेकर चर्चा रह जाएगी, जो शपथग्रहण के बाद तय हो सकती है।
विभागों के बंटवारे में हो सकती है असल दिक्कत
मंत्रियों के पदों के बंटवारे में कोई विवाद नहीं होगा, लेकिन विभागों को लेकर असल चुनौतियां सामने आ सकती हैं। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद, शिवसेना कुछ अहम मंत्रालयों की मांग कर सकती है, जिनमें सबसे प्रमुख गृह मंत्रालय हो सकता है। यह मंत्रालय लंबे समय तक देवेंद्र फडणवीस के पास था, और अब शिवसेना इसे अपने पास रखने की कोशिश कर सकती है।
वहीं, राकांपा ने भी मंत्रिमंडल में शिंदे की शिवसेना के बराबर सम्मान मिलने की मांग की है। राकांपा के नेता छगन भुजबल ने कहा है कि उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट बेहतर था, और इसी के आधार पर मंत्री पदों का बंटवारा होना चाहिए।
चुनाव परिणाम और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
23 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने कुल 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटें जीतीं। भाजपा ने सबसे अधिक 132 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना ने 57 सीटें और राकांपा ने 41 सीटें हासिल कीं। इसके अलावा महायुति के छोटे दलों ने भी कुछ सीटें जीतीं।
वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA), जिसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं, को विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा। MVA ने कुल 46 सीटें जीतीं, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की एनसीपी को 10 सीटें मिलीं।
नतीजों के बाद क्या हुआ?
महायुति की ऐतिहासिक जीत के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई। गठबंधन के घटक दलों ने बैठकें शुरू कीं, और सीएम पद को लेकर राजनीति भी तेज हो गई। 24 नवंबर को एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया। हालांकि, शिवसेना के विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना। शिंदे ने बाद में सीएम बनने की अपनी दावेदारी छोड़ने का संकेत दिया और कहा कि उन्हें किसी भी निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं है, जो भाजपा लेगी।
इसी के साथ, महाराष्ट्र में एक मजबूत सरकार बनाने की प्रक्रिया में अब सिर्फ मंत्री पदों और विभागों के बंटवारे पर चर्चा जारी है।