उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को हुई हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति के सदस्य शुक्रवार को हिंसाग्रस्त इलाके में पहुंचे। इस टीम में कोर्ट के आदेश पर गठित न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष सहित अन्य सदस्य शामिल हैं। टीम इस समय शाही जामा मस्जिद का मुआयना कर रही है, जहां 24 नवंबर को सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में पुलिस बल के साथ लोगों ने पथराव किया, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। घटना के दौरान पांच लोगों की मौत हो गई थी।
जांच टीम के साथ जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी इलाके का दौरा कर रहे हैं। रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायिक जांच समिति के सदस्य शाही जामा मस्जिद में दाखिल हुए। समिति के सदस्य क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे हैं और हिंसा के कारणों की जांच कर रहे हैं।
कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को संभल ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया था कि शाही जामा मस्जिद से जुड़े मामले में तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए, जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई नहीं हो जाती। इससे पहले, 24 नवंबर को कोर्ट कमिश्नर की अगुवाई में सर्वे टीम ने शाही जामा मस्जिद का दौरा किया था। सर्वे टीम के विरोध में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस बल प्रयोग के दौरान पथराव किया। इस दौरान आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए और गोलीबारी भी हुई।
हिंसा के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और अन्य राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई। इस घटना को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ और राज्य सरकार से इस मामले की गंभीर जांच की मांग की गई। मुख्यमंत्री ने इस हिंसा की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग के अध्यक्ष के रूप में हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा, पूर्व डीजीपी एके जैन और रिटायर्ड अपर मुख्य सचिव अमित मोहन को नियुक्त किया गया है।
आयोग की बैठक और अधिकारीयों से मुलाकात
शनिवार को आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्य मुरादाबाद के सर्किट हाउस पहुंचे, जहां उन्होंने मंडलायुक्त, डीआईजी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। यह मुलाकात आयोग को आगे की जांच के लिए निर्देशित करने के उद्देश्य से थी। जांच में सख्ती और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस मामले में मुख्यमंत्री ने जिस तरह से न्यायिक जांच आयोग का गठन किया, उससे राज्य सरकार की गंभीरता जाहिर होती है। आयोग के सदस्य अब हिंसा के कारणों की तह तक पहुंचने की कोशिश करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इस जांच से उम्मीद की जा रही है कि हिंसा के मूल कारणों और उसके पीछे की साजिश का खुलासा होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।